झिंझाना (शामली)। कस्बे के ऐतिहासिक गाड़ी वाला चौक ने अब एक नई पहचान हासिल कर ली है। मेरठ–करनाल मार्ग स्थित इस प्रमुख चौराहे का नामकरण अब औपचारिक रूप से ‘श्रीमद्भगवद गीता चौक’ कर दिया गया है। सोमवार को राष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने विधि-विधान से भूमि पूजन कर आधारशिला का शिलान्यास किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भगवद गीता केवल किसी एक धर्म, देश या समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण विश्व और समस्त प्राणियों के लिए जीवन का मार्गदर्शन करती है। गीता का मूल संदेश “नेक बनो और एक बनो” है, जो मानवता, शांति और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को सशक्त करता है।
स्वामी जी ने ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए बताया कि हस्तिनापुर से कुरुक्षेत्र जाने का यह मार्ग महाभारत काल में भी महत्वपूर्ण रहा है। चूंकि यह चौराहा कुरुक्षेत्र और हस्तिनापुर के मध्य स्थित है, इसलिए इसका नामकरण ‘गीता चौक’ अत्यंत सार्थक और प्रेरणादायी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गीता युद्ध का नहीं, बल्कि शांति, संतुलन और कर्तव्यबोध का संदेश देती है।
खुर्शीद आलम के योगदान की सराहना
भूमि पूजन के दौरान स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कस्बे के सामाजिक कार्यकर्ता खुर्शीद आलम का विशेष रूप से नाम लेते हुए कहा कि गाड़ी वाला चौक को ‘गीता चौक’ नाम दिलाने में उनका योगदान सराहनीय रहा है। कार्यक्रम से पूर्व पंडित वासुदेव द्वारा मंगलाचरण के साथ विधिवत भूमि पूजन संपन्न कराया गया।
छात्राओं का सांस्कृतिक स्वागत
महामंडलेश्वर स्वामी का स्वागत एसडीएस कॉन्वेंट स्कूल की छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से किया। छात्राओं के इस अनुशासित और संस्कारपूर्ण स्वागत से प्रभावित होकर स्वामी जी ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार ही किसी भी समाज की मजबूत नींव होते हैं।
गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति
इस अवसर पर नगर पंचायत अध्यक्ष सुरेश पाल कश्यप, शामली नगर पालिका अध्यक्ष अरविंद संगल, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष राकेश गोयल, अमित शर्मा, राहुल देव गुप्ता, सतीश कश्यप, श्रीपाल आर्य, अनिल गर्ग, चरणदास, अनिल संगल, विनोद संगल, नवीन बिंदल, रज्जाक नगर के प्रधान सोराज कश्यप, बाबर कुद्दूसी, शायर वसीम कुरेशी, खुर्शीद आलम सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित जनसमूह ने ‘गीता चौक’ के रूप में इस चौराहे के नामकरण को सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक समरसता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
झिंझाना, जिला शामली (उत्तर प्रदेश) से
पत्रकार शाकिर अली की खास रिपोर्ट
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