कांधला से पंजाब बाढ़ पीड़ितों की मदद को निकला राहत काफिला, इंसानियत और भाईचारे का मिसाल

कांधला। पंजाब में आई विनाशकारी बाढ़ ने वहां के जनजीवन को पूरी तरह हिला दिया है। घरों में घुसा पानी चारदीवारी लील चुका है, खेत-खलिहान डूब चुके हैं और हजारों लोग बेघर होकर सड़क किनारे और ऊँचाई वाले स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं। हालात इतने भयावह हैं कि लोगों के पास न खाने को अन्न है और न पीने को साफ़ पानी। दवाइयों, कपड़ों और जरूरी सामान की भारी किल्लत से हालात और भी विकट बने हुए हैं।

इन्हीं मुश्किल हालातों में पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पूरे देशभर से हाथ उठ रहे हैं। इसी कड़ी में शामली जनपद के कस्बा कांधला ने भी एक बड़ी मिसाल कायम की है। कस्बे के मोहल्ला मौलानान और मोहल्ला खेल के लोगों ने मिलकर राहत सामग्री एकत्रित की और उसे एक बड़े काफिले के रूप में पंजाब रवाना किया।

इस काफिले में आटा, चावल, दाल, तेल, नमक, दूध पाउडर, बिस्कुट, मिनरल वॉटर, दवाइयाँ, कंबल, कपड़े और रोज़मर्रा के जरूरी सामान शामिल किए गए। राहत सामग्री लादकर जैसे ही ट्रक रवाना हुआ, पूरे कस्बे में भावुक माहौल बन गया। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और युवा—हर कोई कह रहा था कि “आज इंसानियत निभाने का दिन है।”

किसी ने अनाज दिया, तो किसी ने दवाइयाँ; किसी ने कपड़े दिए, तो किसी ने पैसे। हर व्यक्ति ने अपनी हैसियत के मुताबिक सहयोग किया। बुजुर्गों ने कहा कि “आज का दिया सहारा वहां बाढ़ में फंसे किसी परिवार की जिंदगी बचा सकता है।”

समाजसेवियों का कहना था कि जब भी मुल्क पर संकट आता है, कांधला हमेशा सबसे आगे खड़ा दिखाई देता है। मोहल्ला मौलानान और मोहल्ला खेल की पहल इस जज़्बे की ताज़ा मिसाल है। उन्होंने कहा—“यह राहत सिर्फ सामान नहीं, बल्कि इंसानियत और भाईचारे का संदेश लेकर पंजाब रवाना हो रही है।”

स्थानीय लोगों का कहना था कि पंजाब के बाढ़ पीड़ित हमारे अपने हैं और उनकी मदद करना हमारा फर्ज है। यही वजह रही कि किसी ने कोई कमी नहीं छोड़ी।

कांधला से रवाना हुआ यह राहत काफिला सिर्फ पंजाब के लिए सहारा नहीं, बल्कि पूरे हिंदुस्तान को यह संदेश देता है कि हमारी असली ताकत एकता और भाईचारे में है। जब भी कोई इलाका मुश्किल में होता है, देश का हर कोना उसकी मदद के लिए उठ खड़ा होता है।

यह राहत काफिला इंसानियत का अद्भुत उदाहरण बनकर इतिहास में दर्ज हो गया। समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए पत्रकार गुलवेज़ आलम की ख़ास रिपोर्ट 
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