लेखक: तसलीम अहमद | “समझो भारत” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, उत्तराखंड
हरिद्वार (रुड़की), उत्तराखंड।
पत्रकारिता का असली मकसद तभी पूरा होता है जब उसकी आवाज़ से जनहित में कोई सकारात्मक बदलाव आता है। कुछ ऐसा ही हुआ जब "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका द्वारा प्रकाशित एक स्थानीय रिपोर्ट का सीधा और सकारात्मक असर देखने को मिला।
कमेलपुर स्थित राजकीय जूनियर हाई स्कूल इकबालपुर वि.क्षे. (रुड़की) के ठीक सामने, मुख्य मार्ग पर लंबे समय से कूड़े का ढेर जमा था, जिससे विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को आने-जाने में परेशानी हो रही थी और आसपास की आबोहवा भी दूषित हो रही थी। यह समस्या न सिर्फ़ विद्यालय के लिए, बल्कि स्थानीय राहगीरों और ग्रामवासियों के लिए भी असुविधा का कारण बन गई थी।
🧹 ग्राम प्रधान ने दिखाई तत्परता
"समझो भारत" की रिपोर्ट प्रकाशित होते ही ग्राम प्रधान कमेलपुर ने त्वरित संज्ञान लिया और किसी भी तरह की देरी किए बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली मंगवाकर स्कूल के सामने से सारा कूड़ा हटवाया और उसे गांव के बाहर निर्धारित स्थान पर डंप करवा दिया।🙏 जनता में संतोष, प्रधान की सराहना
ग्राम प्रधान के इस त्वरित और जनहितकारी कार्य की ग्रामवासियों ने खुले दिल से प्रशंसा की। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि यदि इसी तरह सजग रहें, तो गांवों को स्वच्छ, सुंदर और सुरक्षित बनाना मुश्किल नहीं है। विद्यालय के आसपास सफाई देखकर न केवल छात्र-छात्राएं और शिक्षक वर्ग राहत महसूस कर रहे हैं, बल्कि उस रास्ते से गुजरने वाले राहगीरों ने भी ग्राम प्रधान के प्रयास की सराहना की।🗣️ समझो भारत की भूमिका
यह उदाहरण यह साबित करता है कि सजग पत्रकारिता केवल आलोचना नहीं करती, बल्कि समाधान का मार्ग भी प्रशस्त करती है। "समझो भारत" की इस पहल से न केवल एक समस्या हल हुई, बल्कि एक बार फिर यह भी साबित हुआ कि सच्ची पत्रकारिता समाज की आवाज़ बन सकती है।📰 रिपोर्ट: तसलीम अहमद, संवाददाता
📍 समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, उत्तराखंड
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