ओजोन मित्रा कंपनी जनता के करोड़ों रूपये लेकर हुई फरार, जांच सही हुई तो 500 करोड़ तक की हो सकती है ठगी

गुरुग्राम हरियाणा की एक कंपनी ओजोन मित्रा और हिंदुस्तान एनर्जी सेवर्स प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी ने बिजली का बिल कम करने वाला एक कार्ड और बैट्री संचालित स्कूटी लॉन्च की थी। इन्होंने अपने विद्युत मित्र कार्ड और स्कूटी बेचने के लिए पूरे भारत में अपने डीलर, डिस्ट्रीब्यूटर जिनको कंपनी ने डीसीपी ( डिस्ट्रिक्ट चैनल पार्टनर ) और एसीपी ( एरिया चैनल पार्टनर) की शानदार पोस्ट दी थी । डीसीपी बनने के लिए कंपनी 22 लाख से ,30 लाख रूपये तक की फीस ली जाती थी और एसीपी बनने के लिए यह 4 से 5 लाख रूपये चार्ज करते थे । कम्पनी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कम्पनी के एमडी राहुल शर्मा ने वीडियो के माध्यम से अवगत भी कराया हुआ है

कि पूरे भारत में कंपनी के लगभग 20 डीसीपी और 400 एसीपी कार्यरत है। इस कंपनी ने अपने ग्राहकों को बेहद लुभावने सपने दिखाए जिसमें इनका प्लान एक स्कूटी खरीद कर आपको प्रतिमाह कम से कम 300 किमी चलानी होगी जिसकी एवज में कंपनी आपको 10 हजार रुपए प्रतिमाह 5 साल तक मिलेंगे ऐसे ही इनका दूसरा प्रोजेक्ट बिजली का बिल बहुत ही ज्यादा कम करने वाला विद्युत मित्रा कार्ड लगवाने पर 500 रूपये प्रति माह देने की बात कही और जनता को विश्वास दिलाने और अधिक ठगी करने के उद्देश से कंपनी ने कुछ महीनों तक अपने किए वायदे के अनुसार ग्राहकों को कैश बैक दिया भी , कंपनी ने जैसे जैसे कैश बैक देना शुरू किया

कंपनी के डीसीपी और एसीपी का कंपनी के प्रति विश्वास बढ़ता चला गया ओर ऐसे ही मौके की तलाश कंपनी काफी समय से कर रही थी । अपने डीलर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स की कमजोर नस अब कम्पनी के हाथ में थी । दीपावली का त्यौहार आने वाला था । इसी त्यौहार के मौके पर कंपनी ने अपने सभी डिस्ट्रीब्यूटर को एक शानदार रिसॉर्ट में आमंत्रित करके सुर सुरा और सुंदरी सहित आलीशान दावत दी और उनमें एनर्जी भरते हुए कंपनी के एमडी राहुल शर्मा ने और अधिक रूपये ठगने के इरादे से अपने ग्राहकों के लिए बहुत ही तगड़ी ऑफर निकाल दी । इस ऑफर से होशियार डिस्ट्रीब्यूटर तो भौचक्के रह गए और सीधे साधे व्यापारियों ने अपना मकान, दुकान, कोठी, खेत खलियान तक गिरवी रखकर करोड़ों रूपये कम्पनी में लगा दिए ।

इस महीने कम्पनी द्वारा कोई कैश बैक किसी भी ग्राहक को नही दिया गया तो डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर्स कई दिन तक एक दूसरे से जानकारी लेते रहे कि कहीं कंपनी भाग तो नही गई । कंपनी ने एक ऐसा एमओयू इन लोगों से साइन कराया हुआ था । जिसमे यह लिखा गया था कि जो भी एसीपी या डीसीपी कम्पनी की बुराई करता पाया गया उनको बिना कारण बताए ही कम्पनी से निष्कासित कर दिया जाएगा । निष्कासित होने की दशा में संबंधित डीलर का कैश बैक हमेशा के लिए बंद और जमा धनराशि दो साल के लिए रोक दी जाएगी । इसलिए कोई भी कंपनी से जुड़ा व्यक्ति कंपनी के बारे में कुछ भी बोलने से डरता रहा और कंपनी अपने मनमाने तरीकों से अपने सभी डीसीपी और एसीपी पर हावी रही ।

जितने भी एसीपी और डीसीपी ने कम्पनी की स्कीम से लाखों, करोड़ों रूपये कमाए सब कम्पनी की जानकारी में था ही अब कम्पनी ने इन सबको कमवाये रूपये हड़पने के लिए एक नया जाल फेंका जिसमें सभी को फसना ही था। कम्पनी के ऑफर द्वारा काफ़ी एसीपी और डीसीपी जो एमएलएम कंपनियों में काम कर चुके उनके पास बना बनाया नेटवर्क था । उसी नेटवर्क को कैश करने के लिए कम्पनी के एमडी और सभी अधिकारियों ने जाल बुनकर कंपनी के शेयर खरीदने की स्कीम निकाली और कुछ ही समय में पैसा कई गुणा हो जाने के सब्जबाग दिखाने शुरू कर दिए , अब तक कंपनी से जुड़े काफी एसीपी और डीसीपी को कंपनी पर पूरा भरोसा हो चुका था । जिनको भरोसा नहीं हुआ उनको चुप ही रहना उनकी मजबूरी थी ।

क्योंकि छोटी छोटी बातों पर ही किसी को भी कम्पनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाना  इनके लिए आम बात थी। एक एसीपी या डीसीपी को बाहर का रास्ता दिखाते ही सब चुप्पी साध लेते थे । अब कम्पनी के लिए गोल्डन चांस था । जनता से कमाया गया धन लूटने का और कम्पनी ने किया भी कुछ ऐसा ही अपने सभी एसीपी और डीसीपी के द्वारा कमाया गया रुपया तो ठग ही लिया साथ ही उनको इतने लुभावने सपने दिखाए गए कि उन्होंने अपना सबकुछ गिरवी रख या कर्ज़ लेकर अपने रूपये कंपनी के दबाव और लालच में आकर शेयर खरीद कर कंपनी में जमा करा दिए ,

कंपनी चाहती भी ऐसा ही थी। अब कंपनी को पूरा विश्वास हो चुका कि उन्होंने अपने हर एसीपी और डीसीपी को इतना कंगाल बना डाला कि वो अब कोर्ट कचहरी जाने के भी काबिल नही बचें और यदि कुछ लोग चले भी गए तो कुछ ही दिनों में घर बैठ जाएंगे क्योंकि कोर्ट कचहरी के पंचेडे में कौन पड़ना चाहता है। वैसे भी कानूनी प्रकिया बहुत ही लंबी चलती है। इसी बात का फायदा उठा कंपनी रातोरात नो दो ग्यारह हो गई। नोट बंदी और लॉकडाउन की मंदी से लुटा पिटा बैठा व्यापारी अपने धन को जल्द से जल्द अधिक कमाने की गरज से इस कंपनी के कभी ना पूरे होने वाले लुभावनी स्कीम का शिकार बनते चले गए । समझो भारत ने अपनी टीम गुरुग्राम स्थित इनके कार्यलय पर भेज दी है । इसके अलावा सभी एसीपी और डीसीपी का एक व्हाट्सऐप ग्रुप भी बनाया गया है। जिसमे सभी एसीपी और डीसीपी की पीड़ा सुनकर उनकी आवाज राज्य और केंद्र सरकार तक पहुंचाने का कार्य कर रहे है। इस घोटाले के शिकार हुए आपके आस पास कोई भी एसीपी या डीसीपी हो तो हमें नीचे लिखें नंबर पर सूचना दे।
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