जिला दिव्याँगजन सशक्तिकरण अधिकारी श्री अंशुल चौहान ने महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए अवगत कराया कि ब्लॉक थानाभवन के गाँव लतिफ़गढ़ से कु0 पायल कश्यप पुत्री स्वर्गीय श्यामलाल जी को तीन दिसंबर विश्व दिव्याँगता दिवस के अवसर पर महामहिम माननीया राज्यपाल महोदया श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा।पुरस्कार में 25 हज़ार की नक़द धनराशि व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा
ज़िला दिव्याँगजन सशक्तिकरण अधिकारी ने अवगत कराया कि दिव्याँगजनो व दिव्याँगता के क्षेत्र में उच्च कोटि का कार्य करने वालो को प्रोत्साहित करने हेतु 12 श्रेणियों में यह पुरस्कार दिया जाता है,बारह श्रेणियों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के दिव्याँग खिलाड़ी, समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बने दिव्याँग,संगीत व क़ला की दुनिया में उच्च कोटि का कार्य करने वाले दिव्याँग,समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी कार्य करने वाले दिव्याँग,सरकारी सेवा में श्रेष्ठ कार्य करने वाले दिव्याँग आदि को यह पुरस्कार दिया जाता है।इसके अलावा दिव्याँग के अतिरिक्त दिव्याँगजनो के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों,दिव्याँगता के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ संस्था आदि को भी यह पुरस्कार दिया जाता है।
दिव्याँग मोनिटर पायल कश्यप को यह पुरस्कार प्रेरणाप्रद दिव्याँग के लिए मिल रहा है जिसके लिये पायल जी का सर्वप्रथम ज़िले स्तर पर चयन हुआ उसके बाद ज़िलाधिकारी की अध्यक्षता में चयन समिति चयन कर द्वारा प्रस्वाव भेजा शासन को भेजा गया,उसके बाद अंतिम रूप से कु0पायल का राज्य स्तर पर चुनाव हुआ।
विदित हो कि पायल जी का जीवन बहुत ही संघर्ष भरा रहा और जीवन में कभी हार नहीं मानी,बचपन में ही माँ बाप का साया सर से उठ गया,आर्थिक स्थिति कमजोर होने और घर में अन्य कमाई का साधन न होने के कारण घर की ज़िम्मेदारी पायल के कंधों पर आ गई लेकिन पायल ख़ुद दिव्याँग होते हुए भी हिम्मत नहीं हारी,बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया और जीवन गुजर बशर किया,पायल दोनों पैरों से जन्म से दिव्याँग है और कैलिपर के सहारे चलती है इतना ही नहीं दिव्याँग होते हुए ग़रीबो के लिए निःशुल्क पढ़ाना भी शुरू कर दिया,महिलाओं के उत्थान और उन्हें जागरूक करने के लिए और शिक्षित होकर विकट परिस्तिथियों में अपने परिवार व समाज के लिये सहारा बन सके इस हेतु पायल कश्यप ने महिलाओं को घर घर जाकर प्रेरित किया,ख़ुद दिव्याँग होकर पायल इतना संघर्ष व समाज को शिक्षित,जागरूक कर सकती है और परिवार व समाज को सहारा दे सकती है तो दिव्याँग न होते हुए समाज के अन्य पुरुष व महिलायें क्यों नहीं
ज़िला दिव्याँग जन सशक्तिकरण अधिकारी श्री अंशुल चौहान द्वारा गाँव गाँव दिव्याँगजनो की निःशुल्क मदद,उनकी सेवा व उन्हें जागरूक करने हेतु दिव्याँगजनो को दिव्याँग मोनिटर बनाये जाने की नयी पहल शुरू की गई जिससे पायल कश्यप जुड़ी और समाजसेवा के क्षेत्र में एक और नया मुक़ाम पाया,दिव्याँगजन अधिकारी के मुताबिक़ एक दिव्याँग का दर्द एक दिव्याँग से बेहतर भला कौन समझ सकता है,इसी उद्देश्य से उन्होंने सन् 2020 में उन दिव्याँगजनो को जो कि पहले से जागरूक है,पढ़े लिखे है और समाजसेवा का भाव रखते है,दिव्याँग मोनिटर बनने के लिए प्रेरित किया,शुरू शुरू में मुश्किल थी लेकिन लगातार प्रचार प्रसार और सामाजिक मंचों पर माननीय मंत्री जी,माननीय सांसद जी,विधायक जी,ज़िलाधिकारी महोदय इत्यादि द्वारा मोनिटर के रूप में दी जा रही सेवा के कारण सम्मानित किए जाने से दिव्याँगजनो का हौसला बढ़ा और आज फ़िलहाल जनपद में 135 ग्राम पंचायतों में ये मोनिटर घर घर जाकर दिव्याँगजनो को सरकारी योजनाओं हेतु जागरूक कर रहे है
और उनकी पेंशन,दिव्याँग उपकरण जैसे ट्राइसाइकिल,व्हील चेयर दिलाने में उनकी मदद कर रहे है,दिव्याँग मोनिटर के रूप में पायल कश्यप की बात करे तो आज पूरे थानाभवन ब्लॉक में हर दिव्याँग की ज़ुबान पर पायल कश्यप का नाम है,इस बाबत मोनिटर पायल कश्यप को भूतपूर्व मंत्री माननीय सुरेश राणा जी,माननीय सांसद श्री प्रदीप चौधरी जी,ज़िलाधिकारी जसजीत कौर जी द्वारा कई बार सम्मानित भी किया गया,पायल कश्यप को इससे पूर्व नारी सम्मान व सुरक्षा हेतु तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा भी सम्मानित किया गया,इस प्रकार नारी शिक्षा,नारी सुरक्षा,बच्चों की निःशुल्क शिक्षा व दिव्याँग मोनिटर के रूप में दिव्यांगजनों के संबल बनने के लिए पायल जी ने समाज में एक प्रेरणाप्रद कार्य किया और इन्ही के फलस्वरूप आज पायल जी जीवन में ये गौरवशाली पल आया और अपने गाँव के साथ साथ अपने क्षेत्र व संपूर्ण शामली और शामली के दिव्याँगजनो और दिव्याँग मॉनिटर का नाम रोशन किया
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