आजकल बिडौली यमुना नदी में स्नान करना सीधा जिंदगी से खिलवाड़ बनते हुए मौत का खेल बन रहा है। कितना भी किनारे पर बैठकर स्नान कर लो, मगर रेत खनन के दौरान जेसीबी व पोकलेन मशीनों से बनाए गए गहरे गहरे गड्ढे लोगों की मौत का कारण बन रहे हैं। रेत खनन के इस धंधे में आज सत्ता पार्टी के नेता, पुलिस और ठेकेदार मस्ती ले रहे है। मगर गरीब परिवारों के लिए स्नान करना भी मौत से खेलने के बराबर हो रहा है।
गरीब परिवारों के बच्चे डूबने की घटनाओं के बाद पीड़ित के साथ आर्थिक शोषण भी एक बड़ी समस्या बन रही है। क्योंकि डूबे हुए व्यक्ति का शव निकालना जहां गोताखोरों के लिए जान का जोखिम है तो दूसरी ओर गरीबों के ऊपर आर्थिक संकट से भी कम नहीं है। क्योंकि एक शव निकालने के लिए 8 से ₹10 हजार रुपये का खर्चा वहन करना, एक गरीब परिवार के लिए डबल मार से कम नहीं है। सरकार को इस रेत खनन पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि रेत खनन अधिकांश रूप से नियमों को ताक में रखकर होता है।
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