पुलिस प्रशासन पर लग रहे हैं, रिश्वत के आरोप, पुलिस को सब पता होने के बावजूद भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल कर मौन धारण किए हुए आखिर क्यों ?

 


परिवादी जैसाराम रावना राजपूत एक साल से दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर, पुलिस प्रशासन मौन धारण किए हुए, पुलिस प्रशासन पर लग रहे हैं, रिश्वत के आरोप, पुलिस को सब पता होने के बावजूद भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल कर मौन धारण किए हुए आखिर क्यों ? क्यों नहीं सुनी जाती हैं, परिवादी की आवाज ? पुलिस अधीक्षक जालौर को परिवादी जैसाराम गोदपुत्र बाबूजी रावणा राजपूत निवासी मोरसीम,बागोड़ा ने ज्ञापन दिया। जालौर : राजस्थान राज्य के जालौर जिला मुख्यालय पर स्थित पुलिस अधीक्षक डॉ.किरण कंग सिद्धु को जालौर जिले के बागोड़ा थाने के मोरसीम निवासी परिवादी जैसाराम गोदपुत्र बाबूजी जाति रावना राजपूत ने  ज्ञापन दिया। परिवादी जैसाराम ने समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल नई दिल्ली से राष्ट्रीय प्रभारी  डॉ.के.एल.परमार को बताया कि वह 1 साल से दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। और उन्होंने कहा की पुलिस थाना बागोड़ा के सी.आर. नम्बर 44/2022 अपराध अंतर्गत धारा

420,467,468,471,406 व 120 बी आई.पी.सी.में मुलजिमों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर उन्हें सजा देने की मांग की। उन्होंने यह भी बताया कि करीब 1 साल से दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। और पुलिस थाना बागोड़ा में मुलजिम वकील गोरधनराम विश्नोई, ओमकार सिंह राजपूत, विष्णु प्रकाश विश्नोई, लक्ष्मण सिंह, छैल कंवर व दीपसिंह द्वारा फर्जी कूट रचित पावर ऑफ अटॉर्नी व ईकरारनामा म्यूटेशन अपील पेश करने के बहाने तैयार कर धोखाधड़ी पूर्वक अवैध कूट रचना कर मुझे प्रार्थी की आराजी हड़प की। उसकी रिपोर्ट 44/ 2022 दर्ज करवाई थी।  और उक्त प्रकरण में पुलिस द्वारा अनुसंधान भी मुलजिमों के विरुद्ध पूर्ण कर लिया हैं, लेकिन आज दिन तक एक भी मुलजिम की गिरफ्तारी नहीं हुई हैं। तथा परिवादी ने बताया कि उपरोक्त मुलजिम प्रकरण की अदावदी को लेकर मुझे व मेरे परिवार को जान से मारने हेतु ढूंढ रहे हैं, जिस कारण मुझे मजबूरी में गांव छोड़कर अन्यत्र  जाने को मजबूरन होना पड़ा। इस दरम्यान परिवादी ने कहा की मुलजिम हमें धमका रहे हैं,

वो कह रहे हैं, कि अगर राजीनामा नहीं किया तो जान से मार देंगे। अर्थात यूं कहे की पीड़ित परिवार को जान से मारने का भी खतरा लेकिन पुलिस प्रशासन मौन। आखिर क्यों ? पुलिस इतने बड़े गंभीर मामले को लेकर शिथिलता क्यों बरत रही हैं ? आखिर क्या माजरा हैं ? पीड़ित परिवार ने अपना दुःख बयान करते हुए कहा कि मुलजिम आर्थिक रूप से काफी सक्षम और प्रभावशाली हैं। जो अनुसंधान को किसी भी प्रकार से प्रभावित करने हेतु धमकी दे रहे हैं। ओर तो ओर मुलजिम गोरधन राम विश्नोई ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका पेश की हैं। जबकि बाकी मुलजिमों पर गिरफ्तारी की कोई रोक नहीं हैं। बागोड़ा पुलिस थाने वाले जानबूझकर मुलजिम को लाभ पहुंचाने हेतु मुलजिम की गिरफ्तारी में कोताई बरत रहे हैं। जबकि पीड़ित का कहना हैं, कि प्रकरण काफी पुराना हैं। आखिर अब सवाल कई तरह से बड़ा रूप ले रहे हैं , कि आखिर पुलिस प्रशासन ऐसे गंभीर मामले को लेकर कोताई क्यों बरत रही हैं ?

क्यों गरीब लोगों को पुलिस के कार्मिकों के द्वारा सताया जाता हैं और क्यों शोषण और अत्याचार क्या जाता हैं ? आखिर क्या माजरा हैं ? कहीं न कहीं जिले की पुलिस अधीक्षक ( एसपी ) सहित तमाम पुलिस प्रशासन पर राजनीति दबाव तो नहीं हैं ,साफ तौर से यह बयां कर रहा हैं, कि ऐसे गम्भीर मामलों को अगर दबाया जाता हैं और गम्भीर मामलों पर जिले की पुलिस प्रशासन मौन धारण कर पीड़ित के साथ अत्याचार किया जाता हैं और शोषण किया जाता हैं। और आरोपी खुले आम घूम रहे हैं, कारण साफ राजनीतिक पहुंच के कारण आरोपियों को कोई भी गिरफ्तार नहीं कर पा रहा हैं, आखिर क्यों? क्या पुलिस प्रशासन इतने बड़े और गम्भीर मामलों में भी मौन धारण किए हुए रहे और यह यह तमाशा देखे तो एक शर्मिंदगी का विषय खड़ा होता हैं। खैर हद तो तब हो गई जब हमारे चैनल के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.परमार इस पीड़ित परिवार के साथ मौके पर पहुंचे और पुलिस अधीक्षक (एसपी) जालौर डॉ.किरण कंग सिद्धू से ज्ञापन देते समय कवरेज करने के लिए मौके पर मौजूद थे। और कवरेज करना चाहते थे तो पुलिस अधीक्षक सहित तमाम पुलिस के कार्मिकों ने साफ मना कर दिया आखिर क्यों ?

जब कि जिले के दूसरे मीडिया को पूर्ण अनुमति हैं, और समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.परमार को स्पष्ट मना कर दिया। आखिर इसके पीछे बहुत बड़ा राज हैं, अगर ऐसा नहीं होता तो पुलिस अधीक्षक सहित जिले के पुलिस के कार्मिक उन्हें कार्यालय के अंदर आने से नहीं रोका जाता ? आखिर क्या कारण रहा और उससे बड़ी हद तो तब हो गई जब इस पूरे घटना क्रम को लेकर पुलिस अधीक्षक डॉ.किरण कंग से समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.परमार बातचीत करना चाह रहे तो अचानक ही वहां से पुलिस अधीक्षक नजर अंदाज हो गई आखिर क्या कारण ? इस बात से साफ अंदेशा लगाया जा सकता हैं, कि इस बड़े और गंभीर मामले को लेकर पुलिस प्रशासन समझो भारत न्यूज चैनल से क्यों बच रही हैं ? जब की दूसरे मीडिया से बातचीत करना उचित समझना यह आखिर पुलिस अधीक्षक के द्वारा दोगला पन क्यों ? पुलिस अधीक्षक जालौर से समझो भारत सवाल पूछ रहा हैं ? आखिर जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ भी ऐसा होता हैं, तो आम जनता के साथ क्या क्या होता होगा ? यह साफ बयां कर रहा हैं।

खैर समझो भारत न्यूज चैनल ऐसे विशेष मुद्दों को प्रमुखता से उजागर कर गरीबों और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए हमेशा ऐसे ही भरसक प्रयास करता रहेगा और अपनी कलम की ताकत से परिवादी को न्याय दिलाने से कभी भी पीछे नहीं हटेगा । अब देखना यह हैं, कि परिवादी को न्याय कब तक मिलता हैं,और आरोपियों की गिरफ्तारी कब तक होती हैं? या फिर जिले की पुलिस प्रशासन पर यह खेल राजनीतिक दबाव के कारण ऐसे ही चलता रहेगा और परिवादी ऐसे ही दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होता रहेगा या उन्हें न्याय मिलेगा ? आखिर कब तक ? वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा , कि हमारी कलम की ताकत में कितना दम हैं। जालौर : समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल से राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.के.एल.परमार की कलम से स्पेशल कवरेज : 9636125006

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