क्या ईश्वर से भी बड़े है। वीआईपी दर्शन करने वाले। सामान्य श्रद्धालु की तरह दर्शन करने से ही दर्शन का है,महत्व। सरकार को वीआईपी व्यवस्था पर बनाने चाहिए सख्त नियम!


नई दिल्ली / जयपुर : अक्सर देखने में आता है की धार्मिक स्थानों पर प्रभु के दर्शन करने धार्मिक स्थानों पर दर्शन करने आने वाले बड़े अधिकारी और नेता वीआईपी स्टाइल में दर्शन करने में अपनी शान समझते है। ऐसे वीआईपी दर्शन के लिए पहुंचने वाले महोदय के दर्शन करने आने की सूचना मिलने पर प्रोटोकाल अधिकारी नियुक्त किए हुए है। मगर वीआईपी महोदय को इस से संतुष्टि नही होती। एसडीएम और डिप्टी स्तर के अधिकारी उनके प्रोटोकाल में नही रहें तो उनको अपनी हैसियत का अहसास नहीं होता। मगर सोचने वाली बात यह है कि वे ईश्वर से बड़े नहीं है। और ईश्वर के सामने प्रोटोकाल की नुमाइश कर ईश्वर को क्या दिखाना चाहते है। वहां आप ईश्वर से मांगने जा रहे है। ईश्वर को कुछ देने नहीं। और देने के लिए आपके पास अपना क्या है। आप जो कुछ भी हो या आपके पास जो भी कुछ है। वह सब ईश्वर का दिया हुआ है। खेर ये तो उनके लिए है। मगर इसका अन्य लोगों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। वीआईपी के संबंधित स्थान पर पहुंचने से पहले ही रास्ते या तो रोक दिए जाते है। या फिर डायवर्ट कर दिए जाते है। जिस स्थान पर वीआईपी दर्शन लिए जाते है। उस स्थान पर भी आम श्रद्धालुओं को भी दर्शन के लिए रोक दिया जाता है। इसके अलावा जो अधिकारी अपने कार्यालय छोड़ वीआईपी की ड्यूटी पर कार्यालय छोड़ उनके साथ रहने वाले अधिकारियों से अपनी फरियाद ले कर पहुंचने वालों को घंटो तक अधिकारी के कार्यालय लौटने की प्रतिक्षा करने को मजबूर होना पड़ता है। वीवीआईपी के लिए जरूर कुछ दुविधा दी जा सकती है। मगर उनके लिए मंदिर खुलने से कुछ मिनट पहले या पट बंद होने के बाद कुछ मिनट का टाइम निर्धारित करना चाहिए। ताकि आम लोगों को वीआइपी की सुविधा की दुविधा का सामना नहीं करना पड़े।  नई दिल्ली / जयपुर : समझो भारत न्यूज़ डिजिटल चैनल नई दिल्ली से राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.के.एल.परमार की कलम से स्पेशल कवरेज : 9636125006 , 9636125006

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