जालोर के सुराणा में इंद्र की मौत पर भी राजनीति। सभी पार्टियां हमदर्दी बटोरने में जुटी। विधायक पानाचंद मेघवाल ने की त्याग पत्र की की पेश कश। गहलोत ने बीजेपी पर साधा निशाना!


जालौर :  जालोर जिले के सुराणा गांव में शिक्षक की मटकी से पानी पीने से गुस्साए शिक्षक द्वारा छात्र इंद्र मेघवाल की पिटाई और उपचार के दौरान मौत का मामले में देश भर सहित प्रदेश भर में जगह जगह आक्रोश बढ़ता जा रहा है। चूंकि मामला दलित छात्र से जुड़ा है तो  राजनीतिक दल भी हमदर्दी जुटाने में जुटे है। ताज्जुब तो इस बात का है की सत्तारूढ़ दल में हमदर्दी की अंदरूनी खींचतान भी सामने आ रही है।

कल पंद्रह अगस्त को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के जालोर दौरे की खबर के तुरंत बाद पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने भी जालोर जाने की घोषणा कर दी। उधर भाजपा सहित दलित संगठनों ने आरोपी प्रधानाध्यापक को सजा देने, पचास लाख का मुआवजा देने की मांग के साथ जगह जगह आंदोलन हो रहे है। कांग्रेस के ही बारां के विधायक पाना चंद मेघवाल ने सीएम गहलोत को त्याग पत्र भेज कर विधायकी छोड़ने को पेशकश कर डाली। जिस पर विधायक मदनलाल दिलावर ने इसे दिखावा बताया है। है भी सही अगर विरोध स्वरूप विधायक पद त्यागना ही था तो त्याग पत्र बजाए मुख्यमंत्री को देने के विधान सभा अध्यक्ष को देते। सब से बड़ी बात यह है कि दल कोई भी हो मृतक के परिजनों से हमदर्दी जताने तब उसके गांव, बागुडा, भीनमाल और उदयपुर क्यों नहीं गए जब इंद्र मेघवाल लंबे समय जिंदगी और मौत के बीच इन अस्पतालों में संघर्षरत था। शर्म की बात यह है कि आरोपी प्रधानाध्यापक छैल सिंह अब भी अपना कसूर मानने को तैयार नहीं है।

उसका कहना है कि इंद्र को पहले से ही कान की कोई बीमारी रही होगी। उनका मानना यह है कि मौत पिटाई से नहीं बीमारी से हुई होगी। भले ही मुख्यमंत्री गेहलोत ने मृतक के परिजनों को सहायता की घौषणा कर दी हो मगर उन्होंने भी जालौर में बीजेपी के विधायक पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी पार्टी के विधायक ने दलित समाज से आने वाले संत के रास्ते में बाधाएं खड़ी की थी।  जिससे उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा। मुख्यमन्त्री ने कहा कि इसके बावजूद इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी और पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल ने कोई राजनीति नहीं की।

गहलोत ने बच्चे की मौत के मामले में कहा कि पुलिस ने आरोपी शिक्षक को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। इस पर निशाना साधते हुए उसे दलित विरोधी बताया। कुल मिलाकर राजनीति दलों द्वारा ऐसे संवेदन शील मामलो में भी राजनीति वाहवाही लूटना उचित नहीं कहा जा सकता! अब देखने वाली बात यह होगी की इस मामले को दोनो ही प्रमुख दल कब तक राजनीतिक करते रहेंगे? जालौर : समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल नई दिल्ली से राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. के.एल.परमार की कलम से स्पेशल कवरेज : 9636125006

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