चमकी पर नुक्क्ड़ नाटक ने लोगों कों समझाया, ओझा के चककर में न फंसे, जाएं सरकारी अस्पताल - सीफार, केयर तथा जिला प्रशासन के सहयोग से नुक्कड़ नाटक के माध्यम से पुनः शुरू हुआ जागरूकता अभियान - अतिप्रभावित क्षेत्रों में घूम -घूम कर टीम द्वारा नुक्कड़ नाटक का होगा आयोजन


एक गाँव घर की कथा कहते है आपसे...सब कुछ है वहाँ पर भी,हमारे से आपसे....कुछ यही कहतेे जमुरा डुंगडूगी बजाते हुए आता है। अपनी मन की व्यथा सुनाता है, वह कहता है कि अपनी बेवकुफी से उसे भी बहुत दुख हुआ था, जब समय रहते वह अपने बेटे की जान चमकी से नहीं बचा सका। इस कारण उसे अब खेला दिखाने में मजा नहीं आता। कुछ ऐसे ही हृदय स्पर्शी दृश्यों के साथ संदेश देती नुक्क्ड़ नाटक की प्रस्तुति सोमवार को समाहरणालय के परिसर में हुई।

प्रस्तुति के बाद जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने हरी झंडी दिखाकर नुक्कड़ नाटक की टीम को रवाना किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी मुजफ्फरपुर प्रणव कुमार ने कहा कि *एईएस/चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण के मद्देनजर जनवरी-फरवरी माह से ही लगातार विभिन्न माध्यमों से पंचायत ,गांव और टोले स्तर पर सघन जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे है।

उन्होंने कहा कि जागरूकता  अभियान के साथ समानांतर रूप से माकूल  चिकित्सिय व्यवस्था की उपलब्धता के कारण हम बहुत हद तक चमकी पर नियंत्रण करने में कामयाब रहे है। सेंटर फॉर एडवोकसी एंड रिसर्च (सीफार), केयर इंडिया तथा जिला प्रशासन, मुजफ्फरपुर की तरफ से आयोजित यह नुक्कड़ नाटक जिले के छह अति प्रभावित प्रखंडो में 52 जगहों पर लोगों को चमकी के संदेश देगी। इस नुक्कड़ नाटक का आयोजन ऐसे जगहों पर किया जा रहा है जहां विगत दो वर्षों में एईएस के सबसे ज्यादा केस आए हैं।




वहीं इसके लिए जिन जगहों पर नुक्कड़ का आयोजन होना है वहां पहले से ही ग्राम वासियों के बीच आमंत्रण पत्र बांटे जाएगें। नाटक में अरविंद, नेहा फातिमा, प्रिस आनंद, शिमी, सुशांत, चंदन और गंगा ने प्रस्तुति दिया। मौके पर डीपीआरओ कमल सिंह, डीएमओ सतीश कुमार, सिफार के राज्य प्रबन्धक रणविजय कुमार, केयर डिटीएल सौरभ तिवारी सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे। जोगीरा और डॉक्टर ने दिया संदेश, जोगीरा की डुगडुगी और भावना प्रधान बातों से शुरू हुई नुक्कड़ नाटक एक बच्चे रमुआ पर केंद्रित हो जाती है।

जिसे सुबह में अचानक ही तेज बुखार और मुंह से झाग आ जाता है। इसे देखकर उसकी मां वैद्य तो पिता ओझा-गुणी की बात करने लगता है। इतना देखकर जमुरे कहता है कि उसे अब जाना ही पड़ेगा, बीच-बचाव करना ही पड़ेगा। वह आता है और कहता है क्यों अपने लाल को वह इन चक्करों में पड़कर मारना चाहती है। वह उसे तुरंत ही 102 पर कॉल करके एम्बुलेंस से सरकारी अस्पताल ले जाने के लिए कहता है,ताकि उसकी जान बच सके।

जब रमुआ को सभी सरकारी अस्पताल ले जाते हैं तो उसकी जान बचती है। इसके बाद डॉक्टर आते हैं और चमकी के लक्षण और बरती जाने वाली सावधानी के बारे में बताते हैं। ग्रामवासियों में दिखा उत्साह , सोमवार को जिले के कांटी प्रखंड के दादर कोल्हुआ, मुस्तफापुर तथा बरमतमुर में नुक्क्ड़ नाटक आयोजित किया गया। जहां ग्रामवासियों में नुक्कड़ नाटक के प्रति जबरदस्त उत्साह देखा गया। मुजफ्फरपुर से सतीश कुमार झा की रिपोर्ट

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