लखनऊ : अदब वा आदाब और तहजीब के शहर में जब बेअदबी होने लगती है तो बेहद तकलीफ होती है। निकट सिटी स्टेशन, सल्तनत मंज़िल, हामिद रोड, लखनऊ की इंजीनियर हया फातिमा बिटिया नवाबजादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने कहा कि नवाबों का शहर लखनऊ अदब वा आदाब और पहले आप पहले आप के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां इन दिनों देखा गया है कि जब कोई हादसा या कोई ऐक्सिडेंट होता है तो मजमा जमा होने वालों की कमी नहीं रहती। ज़ख्मी पड़े इन्सान के पास या तो लोग गाड़ी रोक कर खड़े हो जाते हैं और तमाशा देखने लगते हैं या फिर अपनी गाड़ी की रफ्तार धीमी कर देते हैं और उस ज़ख्मी पड़े इन्सान को देखते हैं
और फिर आगे बढ जाते हैं। इंजीनियर हया फातिमा ने आगे कहा कि यह बर्ताव ठीक नहीं है और ना ही यह तहजीब के शहर में शमिल है। लोगों को अपनी इस आदत में बदलाव लाना चाहिए और ज़ख्मी पड़े इंसान की हर तरह से मदद करनी चाहिए। क्योंकि ऐसे ज़ख्मी पड़े इन्सान की मदद करना कारे खैर है। वैसे पुलिस डिपार्टमेंट को भी इस मामले में अच्छा रोल निभाना चाहिए। कुछ लोग तो सिर्फ पुलिस के डर से ही ज़ख्मी इन्सान को हॉस्पिटल ले जाने से कतराते हैं। वह यह सोंचते है कि हॉस्पिटल ले जाने के बाद कानूनी करवाई में पुलिस के झमेले में कौन पड़े। उच्चतम न्यायालय ने भी ऐसे मामले में ऑर्डर पास किए हैं।
पहले मरीज़ की जान बचाना ज़रूरी बताया है और बाद में पुलिस करवाई करने को कहा है । अगर सभी लोग इसी तरह सोचेंगे तो कोई किसी की मदद को तेयार ना होगा। इंजीनियर हया फातिमा ने आगे कहा कि सोचने वाली बात यह है कि ऐसे हालात में अगर किसी के अपने फैमिली का कोई मैंबर हादसे का शिकार हो जाए और मदद के लिए चिल्ला रहा हो और उसकी मदद के लिए कोई आगे ना आया तो उसके दिल पर क्या गुजरेगी।
हमें अदब के शहर की पुरानी रिवायत को बरकरार रखना होगा और जरूरतमंदों के मदद के लिए आगे बढ़ना होगा। पुलिस विभाग को भी अपने बर्ताव में तब्दीली लानी होगी और हमेशा जनता की मदद के लिए तय्यार रहना होगा तभी समाज का भला हो सकता है और यह सभी काम जागरूकता मुहिम के ज़रिए ही मुमकिन है। मोबाइल: 9839327074
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