मदद के लिए दर - दर की ठोकरे खाता गरीब और बेसहारा वागाराम, न्याय के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का दरवाजा खटखटाने के बावजूद भी नहीं हो रही हैं, कोई सुनवाई। आखिर गरीब वागाराम को कब मिलेगा न्याय।

 


न्याय के लिए दर- दर की ठोकरे खाने को मजबूर वागाराम न्याय की आस में पाली जिले के उच्चाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के दरवाजे कई बार खटखटाने के बावजूद भी उनको कोई न्याय नहीं मिल रहा हैं। यह मामला राजस्थान राज्य के पाली जिले के रोहट उपखण्ड मुख्यालय के अन्तर्गत माण्डावास ग्राम पंचायत का हैं। ग्रामवासी वागाराम गरीबी रेखा में जीवनयापन करता हैं। इन्हें जिले के तमाम उच्च प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के कई बार दरवाजे खटखटा चुका हैं। फिर उन्हें कोई न्याय नहीं मिलता हैं।

आखिर क्यों? जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने एक अभियान भी शुरू किया हैं। वह हैं, प्रशासन गांवों के संग अभियान। उसमें तमाम प्रशासन के आला अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहते हैं, जबकि प्रशासन गांवों के संग अभियान में भी पीड़ित और गरीब वागाराम की कोई सुनवाई नहीं होती हैं। गरीब एयर पीड़ित वागाराम बार बार प्रशासन के आला अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से निवेदन करता हैं, कि मुझे न्याय चाहिए, लेकिन प्रशासन के तमाम अधिकारी औऱ जनप्रतिनिधियों के द्वारा उन्हें महज कागज लेकर कार्यवाही करने का आश्वासन ही देते हैं, लेकिन आखिर यह केवल खानापूर्ति से कैसे काम चलेगा? क्या सूबे के मुखिया माननीय अशोक गहलोत के द्वारा गांवों के संग अभियान केवल मात्र खानापूर्ति करने के लिए आयोजित करवाया है, या हकीकत गरीब और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए।

लेकिन यहां तो माननीयों के द्वारा महज खानापूर्ति के लिए प्रशासन के उच्चाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा पीड़ित से कागज लेकर महज आश्वासन कोरा आश्वासन दिया जाता हैं, इस केवल मात्र कोरे आश्वासन से कैसे काम चलाते? क्या सूबे के मुखिया माननीया अशोक गहलोत के द्वारा यह अभियान केवल कागजों में ही सीमित हैं, या फिर हकीकत? यह तो यह बात से अंदेशा लगाया जा सकता हैं। जब हमारी समझौ भारत डिजिटल न्यूज़ चैनल नई दिल्ली की टीम रोहट उपखण्ड मुख्यालय के माण्डावास ग्राम पंचायत के प्रशासन गांवों के संग अभियान में हकीकत जायजा लेने पहुँची तब हुआ इस बात का असली और हकीकत खुलासा। जब हमारी टीम के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. कान्तिलाल मेघवाल ने ग्राम पंचायत माण्डावास के प्रशासन गांवों के संग अभियान में पहुँचकर इस पीड़ित और गरीब वागाराम से बात कर हकीकत जानने की कोशिश की तब हुआ असली खुलासा। हम आपको गरीब और पीड़ित वागाराम की दास्तान को बयां कर रहे हैं। यह था मामला :

पीड़ित और गरीब वागाराम ने उपखण्ड अधिकारी रोहट को ज्ञापन दिया जिसमें उन्होंने ग्राम पंचायत रोहट के ग्राम विकास अधिकारी द्वारा जारी गलत पट्टे को निरस्त कर कार्यवाही करने के लिए उपखण्ड अधिकारी रोहट को ज्ञापन दिया। जिसमें बताया ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी पर आरोप लगाया गया कि सम्पूर्ण सबूतों के साथ ग्राम विकास अधिकारी ने मुझे गरीब के पैतृक आवासीय घर के पैसे लेकर व मुझ द्वारा मना करने के व हाथ जोड़ने के बावजूद भी मेरे पिताजी के नाम से बने पट्टे पर मेरे बड़े भाई व भतीज के साथ मिलकर गलत पट्टा जारी कर दिया तथा इस ग्राम विकास अधिकारी की सलाह के अनुसार मेरे भाई व भतीज के साथ मिलकर इस पट्टे पर गृह ऋण दिलवाकर मकान भी बना दिया। पीड़ित वागाराम द्वारा आरोप लगाया गया कि मैं इस ग्राम विकास अधिकारी द्वारा बहुत ही प्रताड़ित हूँ तथा इसने पट्टा जारी करने के तुरन्त बाद मेरे घर की दिवार तुड़वा दी तथा मेरे घर में भय और कलह का वातावरण बना दिया। तथा अब इस गलत पट्टे की वजह से हम सभी परिवार वाले मरने मारने पर आभादा हो गए हैं। उन्होंने समझो भारत न्यूज़ डिजिटल चैनल नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. कान्तिलाल मेघवाल से अपनी पीड़ा को बयां कर कहा कि मैं एक गरीब आदमी हूँ तथा मेरे एक छोटा बच्चा तथा एक बच्ची हैं। जो ससुराल जाती हैं। मैंने मेरी पीड़ा ग्राम वार्ड पंच से लेकर उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में मेरे सम्पूर्ण दस्तावेज पहुँचे हुए हैं। तथा पिछले दो - तीन साल से दुःखी हूं। अधिकारी जाँच रिपोर्ट मंगवाते हैं। तथा रिपोर्ट बनाकर तथा ग्राम विकास अधिकारी के पक्ष में बनाकर भेज दी जाती हैं। तथा मुझे धमकियां जो मिलती हैं। वह अलग हैं। उन्होंने उपखण्ड अधिकारी को निवेदन किया की आप स्वयं इस शिविर के जनता के सामने इस प्रकरण को सुनने के लिए बार- बार निवेदन किया और ग्राम विकास अधिकारी तथा मेरी सत्यता की जाँच कर मुझे दिलवाने का कष्ट करें लेकिन माननीय तो सुनने को भी तैयार नहीं थे। इस बात से तो यही अन्देशा लगाया जा सकता हैं, की इसमें माननीय की भी कहीं न कहीं मिलीभगत तो नहीं हैं, आखिर इसमें मिलीभगत नहीं होती तो माननीय तुरन्त प्रभाव से पीड़ित और गरीब की दास्तान सुनकर ग्राम विकास अधिकारी पर तुरन्त प्रभाव से कार्यवाही कर पीड़ित और गरीब को तुरन्त न्याय दिलाते लेकिन यहां तो गरीब की दास्तान को सुनने को कोई तैयार ही नहीं हैं, इस बात से तो साफ अंदेशा लगाया जा सकता हैं, की इसमें माननीय की मिलीभगत कहें तो कोई अतिश्योक्ति वाली बात नहीं हो सकती। पीड़ित वागाराम ने आरोप लगाए कि मैंने ग्राम पंचायत से सूचना के तहत मिसल की प्रतिलिपियों के लिए भी प्रयास किया परन्तु मुझे सूचना नहीं मिली। जिसके दस्तावेज भी उपखण्ड अधिकारी के समक्ष पेश किये। और तो और पीड़ित और गरीब वागाराम ने और भी आरोप लगाए जो कि समझो भारत डिजिटल न्यूज़ चैनल की टीम के सामने बयां कर दास्तान सुनाई। इधर बीएलओ के द्वारा भी मतदाता सूची में गड़बड़ी का होना बताया जिसमें सम्पूर्ण सबूतों के साथ में बीएलओ के द्वारा मतदाता सूची वार्ड नम्बर 7 भाग संख्या 44 में अनिता पुत्री वागाराम बीएलओ के द्वारा लिखा गया। जबकि उन्होंने आरोप लगाया कि यह मेरी पुत्री नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मेरे भतीज ने गलत तरीके से नौकरी प्राप्त करने हेतु राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय माण्डावास में संस्थाप्रधान से मिलकर दसवीं व अन्य कक्षाओं में कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नाम लिखवाया हैं।इसकी जाँच करने के लिए निवेदन किया ।इसे तुरंत प्रभाव से शुद्ध कर दिया जाने के लिए निवेदन किया।

पीड़ित वागाराम ने कहा कि मैंने पहले भी बीएलओ, तहसीलदार, व निर्वाचन अधिकारी को कई बार पत्र लिख चुका हूं,लेकिन अभी तक कार्यवाही नहीं हुई। आखिर कब तक होगी कार्यवाही ? अब इसे हम  जंगलराज कहे तो भी कोई अतिश्योक्ति वाली बात नहीं हो सकती है। इधर शिक्षा विभाग के नुमांदगे भी अब तरीके से नौकरी कर रहे हैं, तो अभी भी सरकार ऐसे मामलों पर कोई सुध नहीं ली लाती हैं, तो फिर गरीब और पीड़ित व्यक्ति किससे आस रखेगा? आखिर प्रशासन के आला अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की इन दोनों मामलों में अगर मिली भगत नहीं होती तो फिर ऐसे गरीब और पीड़ित के मामलों पर तुरन्त प्रभाव से मामले को संज्ञान में लेकर उन दोषियों के खिलाफ तुरंत प्रभाव से कार्यवाही करनी चाहिए न कि गरीब और पीड़ित को दर्द पहुंचाना चाहिए , और नहीं इस पीड़ित को इस प्रकार प्रताड़ित किया जाना चाहिए। लेकिन यहाँ तो उल्टा ही हो रहा हैं? दोषी खुले आम घूम रहे हैं, जबकी पीड़ित दर- दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो रहा है?आखिर कब तक पीड़ित को न्याय मिलेगा या फिर इस जंगलराज में ऐसे ही चलता रहेगा। यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा ? अब देखना यह हैं, कि हमारी समझो भारत डिजिटल न्यूज चैनल की तरफ से न्याय मिलता हैं या फिर ऐसे ही यह पीड़ित और गरीब दर- दर की प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के आगे ठोकरे खाने को मजबूर होना पड़ेगा। जब हमारी समझो भारत डिजिटल न्यूज चैनल नई दिल्ली से राष्ट्रीय प्रभारी डॉ.कान्तिलाल मेघवाल के द्वारा इस पूरे मामले को लेकर प्रशासन गाँवों में संग अभियान में उपखण्ड अधिकारी सुरेश के.एम. से विशेष बातचीत की तब उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पीड़ित और गरीब की समस्या को हमने सुन लिया हैं,उसे जल्द ही मामले को संज्ञान में लाकर जाँच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कर न्याय प्रभाव से पीड़ित को न्याय दिलाने का कहकर पल्ला झाड़ दिया। लेकिन आखिर इस पीड़ित और गरीब परिवार को आखिर कब मिलेगा न्याय? वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा? अब देखना यह हैं, की हमारी यह रिपोर्ट क्या रंग लाती हैं?जयपुर / पाली : समझो भारत न्यूज डिजिटल चैनल नई दिल्ली से राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. कान्तिलाल मेघवाल की स्पेशल कवरेज :

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