उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर जो कि जनपद शामली को भी देख रहा है आज जनपद में गन्ना कोल्हू, कोल्हू की भट्टी एवं गन्ना
क्रेशर अवैध उगाही का जरिया बने हुए हैं। प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर आए दिन किसानों पर खेत में वेस्टेज पुरानी पत्ती या खरपतवार जलाने के लिए केस दर्ज किए जा रहे हैं। वही लगभग 7 महीने तक आए दिन धूमा उगलने वाले या यह कहिए कि वायु प्रदूषण को चरम तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाले गन्ना कोल्हू उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर के अधिकारियों के रहमों करम पर आमजन को मौत की तरफ धकेलता जा रहा है केवल अधिकारी अपनी जेब भरने में लगे हैं आपको बता दें कि विभागीय नियम के अनुसार कोई भी गन्ना कोल्हू आबादी से 500 मीटर की दूरी पर होना चाहिए और धार्मिक स्थल स्कूल अस्पताल आदि से भी 500 मीटर की दूरी पर होना चाहिए तथा भट्टी की चिमनी की ऊंचाई 10 मीटर होनी चाहिए लेकिन सभी नियम को
दरकिनार करते हुए विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से गन्ना कोल्हू संचालक आबादी से सटाकर लगा रहे हैं गन्ना कोल्हू और चिमनी की ऊंचाई भी मात्र 10 से 12 फुट होती है। और शिकायत होने पर भी नहीं होती कोई कार्यवाही केवल शिकायत अधिकारियों की अवैध उगाही
का बन जाता है जरिया अब देखना यह होगा कि क्या उच्च अधिकारी ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाते हैं या नहीं या फिर जानकार सूत्रों की मानें तो उच्च अधिकारियों तक जाता है अवैध उगाही का हिस्सा सच साबित होता है
यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि इन भ्रष्ट अधिकारियों की भ्रष्ट प्रवृत्ति के चलते आमजन मरने को मजबूर है जहां किसान वर्ष में एक बार अपनी खरपतवार जलाते हैं जो कि उनको जलाने के बाद अगली फसल की तैयारी करते हैं और अगली फसल तैयार कर देश में उड़ाने का काम कर देश का पेट भरने का काम करते हैं उन्हें तो दंड एवं जेल तक की हवा खाने के लिए मजबूर होना पड़ता है वहीं वरिष्ठ अधिकारी अपनी भ्रष्ट नियति के चलते गन्ना कोल्हू क्योंकि लगभग 7 महीने तक उगलते हैं धुँआ,धड़क चलते रहते हैं आखिर यह सब कब तक चलेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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