इस अवसर पर ऑनलाइन मेहन्दी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें कक्षा 12वीं में साक्षी संगल ने प्रथम स्थान, राधिका संगल द्वितीय स्थान व तनीशा बंसल तृतीय स्थान प्राप्त किया, कक्षा 11वीं में मेहन्दी प्रतियोगिता में प्राची प्रथम स्थान, वत्सला ने द्वितीय स्थान व सिमरन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, पूर्वी, तानिया सिन्धू, खुशी ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त कियें। सभी प्रतिभागयिों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर मनमोहक व आकर्षक डिजाइन अपनी-अपनी हथेलियों पर उतार कर अपनी प्रतिभा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमति मीनू संगल जी ने छात्राओं की रचनात्मक प्रतिभा को सहारते हुए उन्हें हरियाली तीज के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि तीज को हरियाली तीज भी कहा जाता है क्योंकि इस समय वातावरण में चारों तरफ हरियाली छाई रहती है, और यह त्यौहार सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में सावन मास में पड़ने वाली हरियाली तीज का विशेष महत्व होता है। पौराणिक मान्यताओं में हरियाली तीज का दिन भगवान शिव और देवी पार्वती से भी जुड़ा हुआ है।
इसलिए इस त्यौहार का विशेष महत्व है। आधुनिकता की दौड़ मे त्यौहारो का महत्व खत्म होता जा रहा है। पहले सावन का महीना आते ही पेड़ों पर झूले लग जाते थे, परन्तु अब दूर-दूर तक झूले नजर नहीं आते, सभी मिलजुलकर त्यौहार मनाते थे, घर में सावन के झूले के लोकगीत गाते थे बहुत आनन्द आता था समुचा वातावरण बागों में झूले रिमझिम फुहार, राग मल्लहार के गीत, इस पर्व को विशेष बनाते थे, लेकिन अब किसी के पास समय ही नहीं है कि मिलजुलकर त्यौहार मनायें।
अब त्यौहार कब आया कब गया पता ही नहीं चलता यह गलत है। हम सभी को अपने सभी त्यौहार पहले की तरह ही प्रेम व सौहार्द से मिलजुलकर मनाने चाहिए, जिससे आपस में प्रेम व सदभावना का संचार होता रहें। इस दिन हरे रंग के वस्त्र व हरी चूड़िया पहनकर इस त्यौहार को अत्यन्त हर्ष एवं उमंग के साथ मनाना चाहिए। क्योंकि इससे जीवन में नई उमंग का संचार होता हैं ।
कार्यक्रम का संचालन ऋचा आर्या ने किया एवं इस अवसर पर सुरक्षा, निशा शर्मा, आशा सेठ, नवनीत कौर, प्रतिभा सिंह, मीनाक्षी, सरोज अरोरा, इन्दू नामदेव, आंचल राणा, अंजू पंवार व रीना गोयल आदि अध्यापिकाएं ने ऑनलाइन उपस्थित रहें।
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