शामली आंगनवाड़ी भर्ती धांधली में जिला कार्यक्रम अधिकारी के साथ साथ लेखपालों की भी बड़ी भूमिका ---- बबीता चौधरी


अभिलेख वेरिफिकेशन के नाम पर मात्र नौटंकी लेखपालों द्वारा कम आय के जारी किए गए हैं आय प्रमाण पत्र ,सरकारी कर्मचारियों, भूमि धारा को चेक कर दिए गए 46000 वार्षिक से नीचे के प्रमाण पत्र जारी आपको बता दें कि जनपद शामली में चल रही आंगनबाड़ी भर्ती में जहां पूर्व में गलत तरीके से आरक्षण करने एवं सूची चस्पा होने से पूर्व ही पीडीएफ फाइल चयननीत आंगनबाड़ियों की सूची का लीक होने के कारण चर्चाओं में रही है वही अब चल रहे अभिलेख  सत्यापन भी महज एक नौटंकी बनकर रह गया है क्योंकि मूल जाति आय जो कि तहसील से जारी होते हैं को सत्यापन हेतु तहसील में नहीं भेजा जा रहा है जबकि सामने आया है कि लेखपालों द्वारा हम आए दर्शा कर आय प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं यह आरोप उत्तर प्रदेश आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश महामंत्री बबीता चौधरी ने मुख्यमंत्री से शिकायत करते हुए  लगाए हैं कि अधिक आय वालों ने अपने हलके के लेखपालों द्वारा अपने मूल आई छुपाकर कब आएगे आय प्रमाण पत्र जारी कराए गए हैं जिसके लिए लेखपालों ने मोटा सुविधा शुल्क वसूला है  श्रीमती बबीता चौधरी ने कहा कि ₹46000 वार्षिक आय कम  वालों को  प्राथमिकता शासनादेश के अनुसार प्राथमिकता दी गई इसी का फायदा उठाते हुए अधिक आय वालों ने लेखपाल से सांठगांठ की और नतीजा यह रहा कि गरीबों का हक छीनने में लेखपालों की मुख्य भूमिका रही जहां सरकारी कर्मचारी कर नौकरी करने वालों जमीन के स्वामियों एवं पूर्व से विभाग में कार्य कर रही आंगनवाड़ी एवं सहायिकाओं की भी आए 46,000 से नीचे दर्शाई गई जिसका लाभ उन्हें चयन सूची में शामिल होने में मिला दी गई और सबसे बड़ी विडंबना देखिए कि जहां विभाग द्वारा अभिलेख सत्यापन की बात कही जा रही है वहीं अभी केवल अभिलेखों का आंखों से सत्यापन किया जा रहा है जबकि नियमानुसार प्रत्येक के शैक्षिक प्रमाण पत्र उनके संबंधित स्कूलों से या बोर्ड से या यूनिवर्सिटी से प्रमाणित कराने चाहिए वही तहसील द्वारा जारी प्रमाण पत्र की भी जांच होनी चाहिए कि आय छिपाकर आय प्रमाण पत्र जारी  तो नहीं कराया गया है लेकिन जिला कार्यक्रम अधिकारी जांच कराए भी तो कैसे क्योंकि उन्हें मालूम है कि आय प्रमाण पत्र  को आय के स्रोतों को छुपाकर बनाया गया है इसी के चलते उन्होंने सिलेक्शन पाया है और इसी सिलेक्शन के एवज में जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं मुख्य सेविकाओं के द्वारा अवैध खुदाई की गई है लेकिन इसी अवधि के बावजूद भी कुछ अधिकारियों द्वारा याद रखना चुप्पी साधे रखना एक बड़ा सवाल है या जनपद में इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ हो वहां वहां मुख्य विकास अधिकारी एवं जिला अधिकारी की चुप्पी अपने आप में एक बड़ा सवाल है वही आप सामने आए लेखपालों के इस बड़े खेल पर भी देखते हैं क्या बड़े अधिकारी इसी तरीके से चुप्पी लगाए रहेंगे या करेंगे कोई कार्यवाही आखरी कब तक चलता रहेगा गरीबों का हक यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि जांच के नाम पर अभिलेख 57 के नाम पर सत्यापन के नाम पर आरक्षण के नाम पर सुपरवाइजर सीडीपीओ के ट्रांसफर के नाम पर विभाग में चल रही है तुम महज सिर्फ नौटंकी नौटंकी  नौटंकी अब देखना यह होगा कि विभाग की है  कब तक चलती रहती है या टूटती है उस अधिकारियों की नींद आखिर कब मिलेगा सही अखबारों को उनका हक

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