वीएम सिंह के नेतृत्व में गठित राष्ट्रीय किसान मोर्चा किसी भी नजरिए से किसान आंदोलन के हित में नहीं है यह कहना है टिकैत ब्रिगेड के अध्यक्ष धर्मेंद्र प्रधान का उन्होंने कहा कि यह वही वीएम सिंह है जिन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण 26 जनवरी की घटना पर सर्वप्रथम दिल्ली से भागने का काम किया था अब जहां किसान आंदोलन मजबूती के साथ अपनी मांगों पर डटा हुआ है वहीं गतिरोध कम करने के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी सेकने पर लगा है और साथ ही अनेकों वे संगठन जिनका वार्ता में आंदोलन में वजूद है ही नहीं या यह कहिए कि ना के बराबर है फोटो खिंचवा संगठनों को साथ लेकर वीएम सिंह ने किसान आंदोलन को कमजोर करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय किसान मोर्चा का गठन किया गया है जिसको हम किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने देंगे और उनके द्वारा पूर्व में किए गए सभी कामों को जनता तक पहुंचाएंगे उनके द्वारा मांग की गई कि 4 संशोधन किया जाए और कोर्ट में जाने की इजाजत मिले मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि गन्ने के लिए कोर्ट में गए आज तक ब्याज के साथ भुगतान हुआ क्या 14 दिन में पेमेंट हुआ क्या फिर अब कानून में ऐसा क्या बदलाव आ जाएगा कि कोर्ट में जाने की छूट मिलने से सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा यह महज 1 किसानों को भ्रमित कर किसान आंदोलन से भटकाने का उद्देश्य है और कुछ नहीं लेकिन आज का किसान अनपढ़ किसान नहीं है पढ़ा लिखा किसान है वह इनकी सभी चालू को समझता है और 26 जनवरी के बाद तो वीएम सिंह का चेहरा बेनकाब हो चुका है कि वह एक सरकार के चापलूस के रूप में तो काम कर सकता है लेकिन एक किसान योद्धा के रूप में नहीं हमें चापलूसी किसान योद्धा चाहिए जो किसानों की बातों को मजबूती से रख सके और हमारे लगभग जो अब तक 500 किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है इस आंदोलन में जो शहीद हुए हमारे भाई उनकी सही मायने में शहादत तभी मानी जाएगी जब इन तीनों काले कानूनों की वापसी हो और दिल्ली में किसान शहीद स्मारक बने और वहां हमारे सभी शहीद हुए किसानों की स्मारक बने ऐसे में बी एम सिंह द्वारा इस तरह के मोर्चे का गठन कोई भी समझ सकता है कि किस उद्देश्य से बनाया गया है संयुक्त मोर्चा की वार्ता सरकार से नहीं हो रही है 5 सितंबर को होने वाली महापंचायत के बाद सरकार दबाव में आने की स्थिति में है लेकिन ऐसे में राष्ट्रीय किसान मोर्चा का गठन एक रोड़ा अटका हुआ है आज का जागरूक किसान इनको अपने मंसूबे में कामयाब नहीं होने देगा आज हमारे वही किसान संगठन जो पूर्व से हमारे प्रतिनिधि के रूप में केंद्र सरकार से बात करते रहे हैं और वह भी बात केवल 1 सूत्रीय की तीनों काले कानूनों की वापसी और एमएसपी पर खरीद की गारंटी संबंधी बने कानून के अलावा और कुछ मान्य नहीं होगा यह सब किसान जानते हैं लेकिन ऐसे में आपके द्वारा जो सुझाव दिए गए हैं आपके निजी सुझाव हो सकते हैं किसानों के नहीं इसलिए किसान आंदोलन को मजबूती नहीं दे सकते तो कम से कम मोर्चे बनाकर किसान आंदोलन को कमजोर करने का काम ना करें वीएम सिंह में उसके सहयोगी संगठन यह उन सभी संगठनों से अपील करती है टिकैत ब्रिगेड हम नहीं चाहते कि सरकार के साथ-साथ अपने लोगों से भी वैचारिक लड़ाई लड़ने पर मजबूर होना पड़े इसलिए किसान हित में किसानों का साथ दीजिए सरकार के एजेंट बनना बंद कीजिए
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