आज संपूर्ण विश्व में हर देश हर क्षेत्र शिक्षा गुणवत्ता सशस्त्र सेना बॉर्डर पर हाईटेक बाढ़ बंधी के साथ-साथ हर देश विकसित देशों के निवेशकों को अपनी ओर निवेश करने के लिए आकर्षित कर रहा है .

 
संबंधित सरकारें निवेशकों को यहां पर भारी-भरकम रॉयल्टी छूट देने पर मजबूर है ताकि यह विकसित  देशों के निवेशक संबंधित क्षेत्र की जनता व अन्य को स्वास्थ्य सेवाएं आधारभूत संरचना रोजगार व अन्य मूलभूत सुविधाएं मिले व भारत सरकार ने भी यह सख्त कानून बना दिया है कि कुल सलाना लाभ का  दो प्रतिशत स्थानीय विकास सुविधाओं व स्वरोजगार प्रक्रियाओं पर खर्च होगा .  परंतु आज करोना महामारी की विकराल परिस्थिति के  दौरान चौंका देने वाली बात आई है कि मात्र भारत के उद्योगपतियों के अलावा बाहरी कंपनियों व प्रबंधकों ने जो यहां के स्थानीय भारत वासी हैं ने संबंधित कंपनियों के मजदूर जो कंपनी की रीढ़ की हड्डी होती है उनकी व्यवस्था खाना पीना देने को भी सांप सूंघ गया है . उनका मानदेय

देना तो दूर की बात जबकि यह सरकार ने भी सख्त निर्देश दिए हैं कि कंपनी मजदूरों को कॉपरेट करें .ऊपर से यह ठेकेदार जो वर्षों से करोड़ों रुपए इन मजदूरों के कमीशन बतौर इकट्ठे करते रहे व अपने पेट भरते रहे आज इन्होंने भी मुंह फेर लिया है .एसीसी कंपनी जिसके भारत में लगभग तीस कारखाने व सीमेंट उत्पादन का कार्य

करती है जिला बिलासपुर में इसका कारखाना प्रतिदिन सीमेंट व  कलिंकर उत्पादन बारह हजार मीट्रिक टन से ऊपर बेचता है व एक सीमेंट 50 किलो पैक की कीमत ₹420 से ऊपर है तो आप इसके अनंत लाभ का आंकलन व सी एस आर यूनिट में करोड़ों अरबों रुपए सलाना आता है . बता दें  सीएसआर हेड यहां  हितेंद्र कपूर कुर्सी पर  दस वर्षों से कुंडली मारकर बैठा है व ग्रामीणों ने लगभग 40 करोड रुपए का हिसाब गिनती करके रखा है जो इस प्रबंधन ने बाहरी जिलों के विकास पर ना जाने किन किन नेताओं को खुश करने  के लिए दिया  संबंधित मजदूर एसीसी कारखाने में लगभग सौ के करीब झारखंड उत्तर प्रदेश व विहार से है जो आज इस कंपनी

प्रबंधन ठेकेदार प्रशासन व सरकार की वजह से भूखे मरने की कगार पर हैं मात्र ₹100 प्रत्येक आदमी को वह भी उनके मानदेय से काटकर बीस पच्चीस दिनों तक दिया पर 20 दिनों से यह गरीब मजदूर किस तरह जीवन बसर कर रहे होंगे अंदाजा लगाना मुश्किल

है .ऊपर से इनका प्रोजेक्ट महाप्रबंधक राजीव श्रीवास्तव जब यह मजदूर जिनके कारण वह प्रोजेक्ट महाप्रबंधक की कुर्सी पर एयर कंडीशनर कमरे में बैठा है  व यह मजदूर तपती कड़कती धूप में काम करते हैं , उससे मिलने गए तो राजीव श्रीवास्तव सामने से बोलता है कि हम मजदूरों को नहीं जानते तो क्या  इन प्रबंधकों ने खुद मजदूरी करने की सोची है .  राजेश श्रीवास्तव को फोन पर भी संपर्क किया पर उसने बार-बार फोन काट दिया .और मजदूरों में इस कंपनी प्रबंधन के खिलाफ इतना रोष दिखा कि उन्होंने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी भी की वह इस कंपनी में कभी भी काम ना करने की कसम खाई . वह हिमाचल प्रदेश सरकार से  उन्हें अपने राज्यों में पहुंचाने की गुहार भी लगाई . उपायुक्त बिलासपुर आज मुख्यमंत्री  प्रदेश सरकार से वीडियो कॉन्फ्रेंस पर बिजी थे  उन्हें कल तक यह मजदूर इस तानाशाही के बारे में उनके कार्यालय में मीडिया के सामने अवगत करवाएंगे .बता दें यहां के स्थानीय निवासी भी वर्तमान हिमाचल प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को समझो भारत रजिस्टर्ड न्यूज़पेपर ऑफ इंडिया के माध्यम से आगाह  करना चाहते हैं कि जब आने वाली पीढ़ियां यहां का इतिहास इस करोना महामारी विकट परिस्थिति बारे पढ़ेगी तो इस तानाशाही व मजदूरों का उत्पीड़न का सीधा संबंध व उत्तरदायित्व प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री से होगा व जिला प्रशासन तो  वर्षों से पहले ही इस कंपनी प्रबंधन के आगे नतमस्तक है .

3 comments:

  1. Excellent Mr bhardwaj truly u r working for people without any own expectations this is loyality , very soon u will earn royality fro god

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