सभी देश वासी अयोध्या प्रकरण पर माननीय न्यायालय के आदेश का स्वागत करें: बी एस बेदी

सभी मेरे प्यार देश वासियो  जैसे कि सभी को पता है  काफी वर्षों से देश में मंदिर , व मस्जिद को लेकर    देश मै साम्प्रदायिकता बनी रहती थी ,   धर्म , गुरु और राज नेता अपनी अपनी रोटियां सेकते चले  आ रहे थे  और हम सब  इनके बहकावे में धर्म के सैलाब में बह जा रहे थे इंसानियत भाई चारा को भूल चुके थे  कट्टरता ने  इंसान से बेजान बना दिया  आज उन सब वाद विवाद पर हमेशा के लिए    फूल स्टॉप लगने जा रहा है सारे देश की निगाहें माननीय न्यायालय के आदेश पर टिकी है  ,और न्याय के इस मंदिर मैं किसी के साथ अन्याय नहीं होता इस लिया माननीय न्यायालय के आदेश पर  दोनों समुदाय मै  से फैसला चाहे  किसी  पछ में हो , माननीय न्यायालय के आदेश का सम्मान करें , और देश की अखंडता , सामाजिक एकता, आपसी भाई चारा बनाए रखते हुए देश में अमन शांति का पैग़ाम दें धर्म कोई किसी को नफरत करना नहीं सिखाता  नफरत  की  उत्पत्ति खुद के विचारों  से उत्पन्न होती है 
उस परमात्मा ने सबको इंसान बनाया   और संसार में परमेश्वर वाहेगुरु , खुदा ,गॉड की   इबादत करते हुए मानव सेवा के लिए संसार में भेजा और हम यहां आकर   इंसानियत के रास्ते पर न चल कर, नफरत  के अन्धकार के आगोस में डूबते चले गए , इस लिए मेरे देश वासियों इस देश को उन वीर क्रांतिकारियों ने अपने लहू से सींचा है , यह देश किसी एक का नहीं  यह वह भारत है यहां सभी धर्मों के खुशबू के फूलों के बाग है जो अनेक तरह की खुशबू की मिठास और आनंद देते है इस देश को गुलामी से मुक्ति करने के लिए सभी धर्मो के वीर क्रांतिकारियों ने  अपना अनमोल  बलिदान दिया और एकता भाई चारे की मिसाइल काम की  , सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद , अशफाक उल्ला खां , पंडित रामप्रसाद बिस्मिल , नेता जी सुभाष चन्द्र बोस आदि अनेक वीर  इस देश की आने वाली पीढ़ी केलिए मार्ग दर्शन है
अंत में सभी भाइयों से  निवेदन करता हूं  माननीय न्यायलय के आदेश का हिन्दू भाई , व मुस्लिम भाई किसी प्रकार की टिप्पणी पर न जाएं धर्म गुरुओं के फरमान को अमल में न लाएं  न किसी प्रकार की रैली
व आतिश बाजी  करें ,
  देश की अखंडता ,और अपनी धरोहर संस्कृति को बचाते हुए  मिलकर प्यार से रहें जैसे  आजाद , भगत सिंह, अशफाक , और बिस्मिल जी रहते थे
अव्वल अल्लाह नूंर उपाया, कुदरत के सब बंदे ,एक नूंर ते सब जग उपाजिया , कोऊन, भले को मंदे
   हम बनाने क्या चले थे , क्या बना बैठे , कहीं मंदिर बना बैठे कहीं , मस्जिद बना बैठे , हमसे तो जात अच्छी है परिंदों की , कभी मंदिर पर जा बैठे , तो कभी मस्जिद पर जा बैठे ,
आपस में प्यार से मिल कर रहो मेरे देश प्रेमियों
जय हिन्द: बी एस बेदी संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन

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