आइये एक नए व युवा भारत के निर्माण में हिस्सा ले:* भारत प्राचीन समय से ही बहुत ही अच्छा भौगोलिक व बुद्धजीवी लोगो का देश रहा है। आज भी है लेकिन देश की ऊर्जा व युवाओं की मुख्य ऊर्जा का सही उपयोग नही हो पा रहा है

देश का युवा कब जागेगा ?यह अपने मुद्दे के लिए सवाल कब करेगा 


समाज के मुख्य मुद्दे की बात कब होगी?
समाज मे शिक्षा व स्वास्थ्य की बात कब होगी क्या आपको नही लगता है।
देश मे जितना लोग आपसी विवाद में नही मरे है उससे कई गुना ज्यादा लोग तो पर्यावरण प्रदूषण व गरीबी के कारण मर रहे है। आपको सोचना होगा।

*आप कहा से कहा तक आ गए है।*


आप लंगोट से जौकी पर आ गये...पायजामे से पतलून पर आ गये...नाड़े से बेल्ट पर आ गये...खड़ाऊँ से बूट पर आ गये...कलम से कीबोर्ड पर आ गये। पगडंडियों से एक्सप्रेस वे पर आ गये...चूल्हे से इंडक्शन कुकर पर आ गये...जंगलो से अपार्टमेंट तक आ गये। हल से ट्रैक्टर पर आ गये...पैदल से लक्ज़री जहाज़ों पर आ गये...दीये-मशाल से एलईडी पर आ गये...आप लैंडलाइन से ओरियो एंड्रॉयड तक आ गये...तीर-कमान और गदा से ऑटोमैटिक बंदूकों और मिसाइलों पर आ गये। दुनियां चाँद पे चली गई...मंगल की छाती पर नासा ने रोबोट उतार दिया....शनि मंगल सूर्यग्रहण- चन्द्रग्रहण के हर रहस्य से पर्दा उठ गया !

आप पाँच हज़ार ईसापूर्व और पाँचवी-छठवीं शताब्दी से इक्कीसवी शताब्दी में आ गये...आप लगातार अपडेट होते रहे हैं !!! मगर फिर भी तुम ग्रह नक्षत्रों को...शनि मंगल को जन्मकुंडली में देख -देख कर काँप रहे हो। अपना भविष्य सुधारने के लिए बाबा बाबियों का रास्ता नाप रहे हो। क्या इसी दिन के लिए तुमने बीएससी एमएससी पीएचडी की थी की तुम पढ़ेलिखे जाहिलों की फौज में शामिल हो जाओ!

क्या इसी दिन के लिए तुम डॉक्टर इंजीनियर वकील - मजिस्ट्रेट या प्रोफेसर बने थे ? कि बंगले पर काली हांडी टांगना ! निम्बू मिर्ची टांगना ! नजर न लगने से एक पैर में काला धागा बांधना ?? और अपने उज्ज्वल भविष्य की भीख किसी बाबा बाबी के दर पर नाक रगड़ के मांगना ?

देश आजाद हो गया ! दुनिया आजाद हो गई !
आखिर कब मिलेगी तुम्हें आजादी ?? इस अंधी मानसिक गुलामी से ? दुनिया रोज नए - नए आविष्कार कर रही है ! तुम हजारों साल पुरानी भाषा संस्कृति रीति रिवाजो की वैज्ञानिक व्याख्या करने में लगे हो ! क्या भारत पुनः विश्व गुरु तुम्हारे जैसे मनोरोगियों की वजह से कभी बन पाएगा ?

तुम्हारी समस्याएं लौकिक है। मगर तुम्हें हर समस्या का हल परलोक में नजर आता है ! संसार तुम्हारे लिए स्वप्नवत् है माया है ! भगवान की लीला है ! नाटक है ! भ्रम है ! आखिर तुम्हें इस सपने से कौन जगाए ? कब तक शब्दों के साथ बलात्कार करोगे ? कब तक धोखे में रहोगे ? कब तक हर सिद्धान्त हर आविष्कार को शास्त्रों ऋषि मुनियों के माथे मड़ोगे ??

तुम लोग को जो जगाए वही धर्मद्रोही देशद्रोही जातिवादी या नास्तिक है ? चारुवाक, बुद्ध, महावीर, कपिल, कणाद गौतम, नागसेन, अश्वघोष, कबीर, नानक, रविदास, ओशो, फुले, शाहू, पेरियार, भीम, भगतसिंह, कोवूर, राहुल, दयानन्द, विवेकानंद, सबने विवेक लगाया !
मगर फिर भी तुम्हारा विवेक नहीं जागा !

तुम्हारा धर्म कब अपडेट होगा ?
तुम्हारी आस्था कब अपडेट होगी ?
तुम्हारा ईश्वर कब अपडेट होगा ?
तुम्हारी सोच कब अपडेट होगी ?
तुम्हारे धर्म की किताबें कब अपडेट होंगी ?
क्या आप को नही लगता है किसी भी धर्म मे मानव जीवन की सही दिशा नही दी गयी है?
आप लोग अपने से पढ़कर व्याख्या करे समय के अनुसार चलने की कोशिश करे!

क्योंकि तुम विश्वगुरु के अहंकार की दारू पीकर गरीबी अनपढ़ता लिंगभेद जातिभेद भाषा -भेद, क्षेत्र- रंगभेद, साम्प्रदायिकता की नाली में पड़े हो ! आखिर तुम्हें कब मिलेगी आजादी ? इस उम्दा मानसिक गुलामी से ?
क्या आप लोगो को नही लगता है कि अब हम सबको अपने पूर्वजों के द्वारा अच्छी शिक्षा को फिर से नए देश का निर्माण करे।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जब संविधान से चलता है तो हम सबके मुद्दे भी तो उसी संविधान से चलना चाहिए क्या आपको नही लगता है कि आज पर्यावरण हो या किसान आत्महत्या हो या अन्य सामाजिक मुद्दे जो संविधान से चले। आप अपने आप से सवाल करे हो सकता है कुछ दिल मे एक नए भारत मे जगह पाने के लिए आप कुछ नया सोच सके।

*प्रभाकर सिंह रिसर्च स्कॉलर इलाहाबाद विश्वविद्यालय।*

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