सूत्रों के अनुसार, निजी भूमि से जुड़े कुछ मामलों में अवैध लाभ न मिल पाने से नाराज़ एक साजिशी गिरोह सक्रिय हो गया है। बताया जा रहा है कि नियमों और कानून के तहत चल रही प्रशासनिक कार्रवाई से असहज यह गिरोह अब दबाव बनाने और बदनामी फैलाने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसके लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाते हुए भ्रामक, तथ्यहीन और एकतरफा सामग्री लगातार प्रसारित की जा रही है, ताकि आम जनता को गुमराह किया जा सके।
यह पूरा घटनाक्रम में प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर अविश्वास पैदा करने की एक सोची-समझी कोशिश जैसा प्रतीत होता है। जानकारों का कहना है कि जब किसी अधिकारी की सख्ती से अवैध रास्ते बंद होते हैं, तब ऐसे तत्व सामने आते हैं जो अफवाह, भ्रम और दबाव की राजनीति शुरू कर देते हैं। छोटे-छोटे मुद्दों को तूल देकर माहौल बिगाड़ना और प्रशासनिक फैसलों को “उत्पीड़न” बताकर पेश करना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
सूत्र यह भी संकेत देते हैं कि इस गिरोह में ऐसे लोग शामिल हो सकते हैं, जिनका अतीत विवादों और आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा रहा है। यही वजह है कि प्रशासनिक कार्रवाई को जानबूझकर गलत रूप में पेश किया जा रहा है। बैठकों का आयोजन, रणनीति निर्माण और सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट—इन सबके जरिए एक ईमानदार अधिकारी पर मानसिक दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
दूसरी ओर, तहसील से जुड़े अभिलेख और उपलब्ध तथ्यों पर नज़र डालें तो तस्वीर बिल्कुल अलग दिखाई देती है। रिकॉर्ड के मुताबिक, एसडीएम निधि भारद्वाज नियमित रूप से कार्यालय में उपस्थित रहकर मामलों का विधिसम्मत निस्तारण कर रही हैं। किसी भी स्तर पर मनमानी या नियमों की अनदेखी की पुष्टि नहीं होती। इसके बावजूद जिस तरह से उनके खिलाफ विवाद खड़ा किया जा रहा है, वह साजिश की ओर साफ़ इशारा करता है।
प्रशासनिक और सामाजिक हलकों में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं। जानकारों का मानना है कि यह सब एक सुनियोजित प्रयास है, ताकि जनदबाव बनाकर निर्णयों को प्रभावित किया जा सके। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि पूरे मामले पर कड़ी नजर रखी जा रही है और यदि यह साबित होता है कि किसी संगठित गिरोह द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैलाकर दबाव बनाने की कोशिश की गई है, तो संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर वायरल हो रही भ्रामक खबरों और अपुष्ट आरोपों से सावधान रहें। जानकारों का कहना है कि यह मामला एक बार फिर इस सच्चाई को उजागर करता है कि जब कोई अधिकारी ईमानदारी और सख्ती से कानून का पालन करता है, तो उसे बदनाम करने के लिए साजिशी तत्व सक्रिय हो जाते हैं—लेकिन अंततः कानून और सच की ही जीत होती है।
“समझो भारत” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए
कैराना, जिला शामली (उत्तर प्रदेश) से
पत्रकार: गुलवेज आलम
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