जब भी NRC लागू होगी,तब नागरिकता सिद्ध करने के लिए 1951 की जनगणना रजिस्टर का सहारा लिया जाएगा,जो हर तहसील कार्यालय में मौजूद है

जब भी NRC लागू होगी,तब नागरिकता सिद्ध करने के लिए 1951 की जनगणना रजिस्टर का सहारा लिया जाएगा,जो हर तहसील कार्यालय में मौजूद है

 हमें यह करना है कि सबसे पहले उस तहसील कार्यलय से जाकर 1951 की जनगणना रजिस्टर से अपने बाप-दादा के नाम वाले पन्ने की नक़ल (प्रमाणीत प्रत) लेनी है जहां 1951 से पहले आपका परिवार रहता था। और उसी रजिस्टर में दर्ज नाम से आपको कड़ियाँ जुड़ानी है। मतलब रजिस्टर में दादा का नाम है तो दादा के नाम से बाप को जोड़ना और फिर बाप के नाम से आपको और आपके नाम से आपके परिवार को कागज़ी तौर पर जोड़कर नागरिकता साबित करनी है। फिर यह भी देखना है कि 1951 की जनगणना रजिस्टर में दर्ज बाप या दादा के नाम से आपका नाम मेल भी खाता हो। मसलन, आज आपका नाम 'शेख सलीम शेख कलीम' है और रजिस्टर में दर्ज बाप-दादा शेख के बजाए 'मोहम्मद' या 'सय्यद/पठान' के रूप में दर्ज है तो प्रशासन आपके रिश्ते को खारिज कर देगा! इसलिए, अगर किसी के नाम अपने बाप-दादाओं के नामों से मेल नही खाते,तो वह आज ही अपने नाम एक जैसे करके उसे राज्य के राजपत्र में प्रकाशित करे

और उस राजपत्र की कॉपी लेमिनेशन करके रख दे। जिनके पास 1951 में ज़मीन थी,तो उस जमीन के पुराने कागज़ात यानी खासरापत्र निकालकर रख लें। इसमें भी नामों/उपनामों में मेल नही है तो फिर वोही राजपत्र वाली प्रक्रिया अपनाएं। यह काम 'वक़्त आने पर' नहीं बल्कि आज ही शुरू कर दे,यह समझकर कि वक्त आ चुका है! क्योंकि अभी से शुरू करेंगे तो यह कागज़ात आसानी से, कम खर्च में हासिल हो जाएंगे; मगर जब NCR का आदेश लागू हो जाएगा तो पूरे देश मे अफरातफरी का आलम होगा। पूरा देश कागज़ों के लिए दौड़ लगाएगा तो आप सोच नहीं सकते क्या होगा! तब हो सकता है कि संघी मानसिकता के अधिकारी/कर्मचारी आपको वह कागज़ात यह कहकर देने से इनकार कर दे कि वह रजिस्टर या उसका वो पन्ना जिसमें आपके बाप-दादा का नाम दर्ज है, गुम या नष्ट हो गया है..!!
अब इस देश मे कुछ भी असंभव नहीं है। मुसलमान, ग़फ़लत से निकलकर आज ही NRC के लिए काम पर लग जाए क्योंकि भले ही यह आदेश हिंदू-मुस्लिम सबके लिए होगा; मगर असल मे यह सिर्फ मुसलमानों के लिए होगा! क्योंकि हिंदुओं के लिए तो 'हिंदू' होना ही इस बात का सबूत है कि वह हिंदुस्तानी है! क्योंकि मोदी सरकार एक क़ानून बना चुकी है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले हर व्यक्ति को भारत की नागरिकता दी जाएगी,बशर्ते वह मुसलमान और ईसाई न हो! इसलिए, NRC का छल अभियान बस हमारे लिए ही लागू होगा या समझो कि लागू हो गया! भाइयों! असम के हाल जानकर सबक हासिल करो! वहाँ ये हाल है कि किसी परिवार को नागरिकता के कागजात जमा कराने के लिए मनमानी तारीख़ और बहुत सीमित समय दिया जा रहा है, इतना सीमित की तयशुदा तारीख और वक्त पर
NRC दफ़्तर पहुंचने के लिए लोग औने पौने, कौड़ियों के दाम पर ज़मीनें, जानवर-बछड़े बेचकर 'वक़्त पर' पहुंचने के जुगाड़ कर रहे हैं...! हमारे पास अभी वक़्त है सो वह घड़ी आने से पहले उसकी तैयारी कर लें। NRC के तहत नागरिकता सिद्ध करने के लिए 1951 के सबूत ही माने जाएंगे। जिनके पास 1951 के जनगणना का रजिस्टर या ज़मीन से जुड़े कागज़ात नही है,
वह कमसकम ऐसे वैध कागज़ों की तलाश करें जो यह साबित करते हो कि 1951 के वक्त आपका परिवार यहीं था, भले ही वह कागज़ आपके बाप-दादा पर हुई किसी पुलिस या अदालती कार्रवाई का क्यों न हो! आज आपके पास मौजूद मतदाता पहचानपत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, बैंक पासबुक...सब बेकार साबित होंगे क्योंकि यह सब मान्य नहीं होंगे!!
इसलिए, बिना देर के काम पर लग जाए और उस वक्त की भयानक मुसीबत से बचें।

इस मैसेज को आगे बढ़ाते रहे,पूरे भारत में...

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