तीसरी बार वार्षिक ठेके निरस्त, ठेकेदारों ने बताई अपनी समस्या यदि नीलाम कमेटी ठेकेदारों की समस्या को समझे तो आसानी से हो सकते है ठेके नीलाम



*पिरान कलियर।*

आस्था की नगरी पिरान कलियर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक के वार्षिक ठेकों में ठेकेदारों द्वारा पूर्ण रूप से भाग ना लेने के चलते इस बार भी ठेके निरस्त हुए है। तीसरी बार ठेका प्रक्रिया का कोरम पूरा ना होने के चलते वार्षिक ठेके नही हो पाए है। जब ठेकों के सम्बन्ध में ठेकेदारों से जानकारी ली गयी तो ठेकेदारों ने बेबाक़ी के साथ अपनी बात रखी, ठेकेदारों की माने तो ठेका प्रक्रिया में जो शर्ते बनाई गयी है उसे ठेकेदार पूरी नही कर सकता, नियमावली में कई ऐसी शर्ते लगाई गयी है जो पूरी करना नामुमकिन है। अधिकांश ठेकेदारों ने पांच प्रतिशत परफॉर्मेंस सिक्योरिटी (जमानत राशि) देने में असमर्थता जताई है। ठेकेदारों ने बताया ठेकों में 10 प्रतिशत की जो एफडीआर मांगी गयी है उसे मुहैय्या कराने में ठेकेदार के सामने विभिन्न समस्याएं आरही है यदि नीलाम कमेटी एफडीआर की जगह पूर्व की भाति ड्राफ्ट जमा कराए तो समस्या का समाधान हो सकता है। इसके साथ ही ठेकेदारों ने ठेके की रकम को चार किश्तों में जमा कराए जाने की बात कही। ठेकेदारो ने बताया ठेका स्वीकृत होने पर ठेके की 25 प्रतिशत राशि एडवांस में जमा कराई जाए, बाकी 75 प्रतिशत राशि के चैक लेकर तीन किश्तों में जमा कराई जाए, ताकि दरगाह का पैसा ठेकेदार आसानी से जमा करा दे, अन्यथा पूर्व की भाति ठेकों की रकम बंदरबांट होती रहेगी। इसके साथ ही ठेकेदारों ने ठेके महंगे होने का हवाला दिया तो संवाददाता ने पूर्व के ठेके महंगे होने की बात कही, ठेकेदारों ने बताया जो ठेकेदार कई कई प्रतिशत महंगे-महंगे ठेके लेकर ठेकों की रकम को आसमान तक पहुँचा गए है वो अब ठेका प्रक्रिया से भाग चुके है क्योंकि आसमान छू रही ठेकों की रकम सालभर इकठ्ठा करना राई के पहाड़ जैसा है, इसके साथ ही ठेकेदार सलीम अहमद त्यागी, राव सलीम, राव तसलीम, मौहम्मद आमिल, असलम ठेकेदार, शाहिद अली, मुस्लिम, राशिद, नौशाद आदि ने दरगाह के वार्षिक ठेकों की खुली बोली करने की मांग की, उन्होंने बताया टेंडर प्रक्रिया खत्म होनी चाहिए, और ठेकों की खुली बोली हो ताकि पारदर्शिता रहे, इसके साथ ही दरगाह से जुड़े तमाम ठेके पूर्व की भाति दरगाह साबरी गेस्ट हाऊस में किए जाए, ना की किसी और जगह, पूर्व से ये तमाम ठेके दरगाह क्षेत्र यानी साबरी गेस्ट हाउस में ही होते थे, इसमे ठेकेदारों को सहूलियत रहती थी। वही अगर बात करे इस वर्ष ठेके ना होने के चलते डेली बेसिस पर ठेके चलाए जा रहे है, इस पर ठेकेदारों ने कहा रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट की सूझबूझ और ईमानदार छवि के चलते डेली बेसिस ठेकेदार प्रत्येक माह पूरा पैसा जमा करा रहे है, ठेकेदारों की माने तो यदि ठेके हुए होते तो पूर्व की तरह अब तक दरगाह के लाखो रुपयो का बंदरबांट हो जाता। ठेकेदारों ने रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ठेके ना होने के बावजूद भी तमाम ठेके सुचारू रूप से चल रहे है और पूरा पैसा भी अदा हो रहा है ये सब रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट की सूझबूझ और ईमानदारी का नतीजा है।

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