हरीष की अर्थी को सलीम ने दिया कांधा मुस्लिमों ने किया हिंदु भाई का अंतिम संस्कार

रिपोर्ट सलीम फ़ारूक़ी



पलायन की धरती के लिए बदनाम कैराना एक बार फिर संप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना।


कैराना के मुस्लिम बाहुल्य मौहल्ला अंसारीयान में एक ऐसा दृश्य भी दिखाई दिया जिसमें सांप्रदायिकता फैलाने वाले लोगो व कैराना को पलायन के नाम पर बदनुमा दाग देने वालों को आईना दिखाने का काम किया।
कैराना के ही नगर के मोहल्ला अंसारियान में 50 वर्षीय हरीश उर्फ काका पंजाबी की मौत के बाद सन्नाटा पसर गया।
वही हरीश उर्फ काका पंजाबी की मौत के बाद मुस्लिमों ने अंतिम संस्कार किया। हरीश और काका की सुबह के समय अचानक मौत हो गई थी।
मोहल्ला अंसारी निवासी सलीम प्रीति ने बताया कि हरीश उर्फ राजा पंजाबी उनके मोहल्ले में करीब 45 साल से रहते आए हैं।
लगभग 30 वर्ष पहले हरीश और काका पंजाबी के माता पिता की मौत हो गई थी जिसके बाद हरीश काका के दो भाई राजू व बिट्टू कैराना से मकान बेचकर चंडीगढ़ चले गए थे व अन्य परिवार के चाचा, ताऊ भी कैरान  से मकान बेचकर पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में चले गए थे।
लेकिन परिवार वालों के जाने के बाद हरीश गुप्ता का पंजाबी का गहरा लगाव था।
काका पंजाबी हमेशा कहा करते थे उन्हें कैराना में ही रहना है और हमेशा कहते थे कि उसकी मौत के बाद चाहे उन्हें दफना देना या अंतिम संस्कार कर देना।
लेकिन कुछ भी हो जाए वह कैराना को छोड़कर जाने वाले नहीं है।
कुछ साल पहले हरीश काका कैराना मैं ही मिठाई बनाने का काम करते थे वही उम्र ज्यादा होने के बाद आशा पंजाबी मोहल्ले के इमामबाड़ा स्थिति स्कूल के पास अपना समय व्यतीत कर रहे थे।
मुस्लिम समुदाय के लोग उन्हें हमेशा बड़े प्यार से खाना देते थे और उन्हें प्यार से काका पंजाबी के कर पुकारते थे।
काका पंजाबी के धर्म का भी हमेशा क्या करते थे,सलीम फरीद ने बताया कि सारा पंजाबी की अचानक मौत के बाद उनके मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है।
वहीं रविवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने काका पंजाबी की अर्थी तैयार की और कुछ अपने कंधों पर अर्थी लेकर शमशान घाट पहुंचे।
काका पंजाबी का जमुना गिरी इससे श्मशान घाट में ले जाकर हिंदू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया।
इस दौरान पलायन के लिए परिणाम किराना की धरती एक बार श्री संप्रदाय प्रभास की मिसाल बन गया है।

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