स्योहारा (बिजनौर)। जिला बिजनौर की स्योहारा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत फैज़ूल्लापुर में मनरेगा योजना सहित कई विकास कार्यों में गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। गांव निवासी सुरेन्द्र कुमार सैनी, जो मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण ऑर्गनाइजेशन के सचिव (समाज कल्याण, स्योहारा ब्लॉक) हैं, ने प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।सुरेन्द्र कुमार सैनी का आरोप है कि ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। जिन लोगों के नाम मनरेगा मजदूरी में दर्ज हैं, उनमें से लगभग 80 प्रतिशत लोग कभी काम पर गए ही नहीं। आरोप है कि उनके स्थान पर अन्य लोगों को 50–100 रुपये का लालच देकर फोटो खिंचवाए जाते हैं, जिन्हें सरकारी पोर्टल पर अपलोड कर फर्जी हाजिरी दिखाई जाती है और सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है।
सुरेन्द्र कुमार सैनी ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री पोर्टल पर ग्राम पंचायत की एक सड़क को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। यह सड़क बने हुए एक साल भी पूरा नहीं हुआ, लेकिन वह पूरी तरह उखड़ चुकी है और जगह-जगह गड्ढों में तब्दील हो गई है।
हैरानी की बात यह है कि उक्त सड़क पर भारी वाहनों का आवागमन भी नहीं होता, फिर भी उसकी हालत बद से बदतर है, जो निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
*बिना जांच शिकायत बंद करने का आरोप*
शिकायतकर्ता का आरोप है कि पंचायत सचिव माधव राणा ने बिना किसी स्थलीय जांच और तकनीकी सत्यापन के ही मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई शिकायत को यह कहते हुए बंद कर दिया कि “सड़क मानकों के अनुसार बनी है”।
यह कार्रवाई न केवल शिकायतकर्ता के अधिकारों का हनन है, बल्कि सरकारी पोर्टल की पारदर्शिता पर भी सीधा हमला है।
"*भ्रष्टाचार की जांच भ्रष्ट लोग करेंगे तो न्याय कैसे मिलेगा*?"
सुरेन्द्र कुमार सैनी ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर भ्रष्टाचार करने वाले या उनसे जुड़े लोग ही शिकायतों की जांच करेंगे, तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा? ऐसी व्यवस्था भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है, न कि उसे रोकने का काम।
*उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि*
ग्राम पंचायत फैज़ूल्लापुर में मनरेगा कार्यों की उच्चस्तरीय, निष्पक्ष जांच कराई जाए
सड़क निर्माण की तकनीकी जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए
मुख्यमंत्री पोर्टल शिकायत को बिना जांच बंद करने वाले जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी पर कड़ी विभागीय व कानूनी कार्रवाई की जाए
दोषी पाए जाने पर रिकवरी, निलंबन और एफआईआर जैसी सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए
*प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में*
ग्राम पंचायत में लगातार सामने आ रही शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई न होना, प्रशासनिक कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। यदि समय रहते निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई, तो यह मामला जन आंदोलन और न्यायिक हस्तक्षेप की ओर भी बढ़ सकता है। समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए जिला प्रभारी- शमशाद अहमद की ख़ास रिपोर्ट
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