रिपोर्ट: नेहा सिंह, अशोक विहार, दिल्ली
“समझो भारत” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
दिल्ली… एक ऐसा शहर जहाँ सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, बल्कि हौसलों और मेहनत की आग में तपकर हकीकत बनते हैं। इस शहर के अशोक विहार में बैठकर एक युवा ने अपने संघर्ष, ईमानदारी और विज़न के दम पर ऑटोमोटिव दुनिया में ऐसा परचम लहराया कि आज उसका नाम सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि विदेशों तक गूंज रहा है।
ये कहानी है कार स्वर्ग के संस्थापक और मालिक विक्रांत राज नारंग की—एक ऐसे युवा उद्यमी की, जिसने साबित किया कि सच्ची लगन और साफ नीयत हो तो सफलता खुद रास्ता बनाती है।
अपने दम पर खड़ा हुआ एक युवा, जिसने खुद लिखा अपनी पहचान का सफर
विक्रांत राज नारंग की जड़ें सामान्य परिवार से थीं, लेकिन सपने असाधारण। उन्होंने शुरू से तय कर रखा था कि एक दिन अपना नाम, अपनी पहचान और अपनी कंपनी खुद बनाएँगे—बिना किसी सहारे, बिना किसी बड़े नाम के। कारों के प्रति जुनून ने उन्हें वह रास्ता दिखाया, जिस पर चलकर उन्होंने आज कार स्वर्ग को दिल्ली में एक भरोसेमंद ब्रांड का दर्जा दिला दिया है।गाड़ियों की दुनिया में उनकी समझ, गुणवत्ता पर उनका फोकस और कस्टमर सर्विस में उनकी ईमानदारी ने उन्हें अलग ही मुकाम पर पहुँचा दिया। आज अशोक विहार का नाम सिर्फ एक लोकेशन नहीं, बल्कि “कार स्वर्ग” के कारण एक पहचान बन चुका है।
भारत ही नहीं, विदेशों में भी हो रही है चर्चा – दुबई IIFA अवॉर्ड्स तक पहुँचा कार स्वर्ग का नाम
मेहनत का फल देर से सही, लेकिन मिलता जरूर है। विक्रांत राज नारंग की सफलता इसका सच्चा उदाहरण है।आज उनकी पहचान सिर्फ दिल्ली या भारत तक सीमित नहीं, बल्कि ग्लोबल लेवल पर भी चमक रही है।
दुबई IIFA अवॉर्ड्स में भी अब उनका नाम ऑटोमोटिव किंग के रूप में लिया जा रहा है—ये किसी स्थानीय व्यापारी का नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुके युवा उद्यमी का परिचय है।
अशोक विहार का ‘कार स्वर्ग’ क्यों है खास?
- भरोसेमंद और प्रमाणिक कार डीलिंग
- ग्राहकों की जरूरतों को समझकर बेहतरीन ऑप्शंस
- सेल–परचेज से लेकर कस्टमाइजेशन तक पूरी प्रोफेशनल सर्विस
- आधुनिक तकनीक और ट्रांसपेरेंसी पर आधारित वर्क सिस्टम
- अनुभवी टीम और हर ग्राहक से वादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता
इन गुणों ने कार स्वर्ग को ऑटोमोटिव बाजार में एक मजबूत ब्रांड पहचान दी है।
युवा उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा
विक्रांत राज नारंग उन युवाओं के लिए मिसाल हैं, जो कहते हैं कि “हम अकेले क्या कर सकते हैं?”उनका सफर सिखाता है—
साहस, मेहनत, ईमानदारी और विज़न…
इन चार चीजों से कोई भी युवा अपनी खुद की दुनिया बना सकता है।
अंत में…
अशोक विहार की गलियों से अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचने वाला यह सफर आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।कार स्वर्ग सिर्फ एक कार शोरूम नहीं, बल्कि एक सपने को हकीकत बनाने की कहानी है—एक ऐसे युवा की, जिसने हिम्मत नहीं हारी और साबित कर दिया कि सफलता सिर्फ मेहनत चाहती है, बहाने नहीं।
“समझो भारत” के लिए अशोक विहार, दिल्ली से
पत्रकार – नेहा सिंह
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