जिलाधिकारी श्रीमती जसजीत कौर की अध्यक्षता तथा मा० साकेन्द्र प्रताप सिंह, अध्यक्ष जिला पंचायत की गरिमापूर्ण उपस्थिति में जिला स्तरीय रबी उत्पादकता गोष्ठी-2025, जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबन्धन गोष्ठी-2025 एवं एक दिवसीय जनपद स्तरीय मिलेट्स मेला सह प्रदर्शनी का आयोजन काकरान वाटिका बिजनौर में किया गया। इस अवसर पर कुणाल रस्तोगी ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बिजनौर, जय सिंह कुशवाहा डी०एफ० ओ० बिजनौर, डा० घनश्याम वर्मा, उप कृषि निदेशक, डा० लोकेश कुमार अग्रवाल मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, जसवीर सिंह तेवतिया, जिला कृषि अधिकारी बिजनौर, महेश गौतम वन क्षेत्राधिकारी बिजनौर, डा० के०के० सिंह, कृषि वैज्ञानिक, डॉ० पिन्टू सिंह, कृषि वैज्ञानिक, श्रीमती शिवांगी कृषि वैज्ञानिक एवं लगभग 750 से अधिक कृषक बंधु मौजूद थे।
सर्वप्रथम मा० साकेन्द्र प्रताप सिंह, अध्यक्ष जिला पंचायत बिजनौर एवं श्रीमती जसजीत कौर जिलाधिकारी द्वारा किसान मेला/गोष्ठी का फीता काटकर एवं दीप प्रज्जवलित कर, शुभारम्भ किया गया। मुख्य अतिथि द्वारा कृषि, कृषि से सम्बद्ध विभागों तथा निजी उर्वरक / कीटनाशक विक्रेताओ द्वारा लगायी गयी स्टालोंं का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के समय एफ०पी०ओ० मौपुरदेवमल फैड प्रो०क०लि० के अध्यक्ष चौधरी सर्वेन्द्र कुमार को कस्टम हाईरिंग सेन्टर चाबी प्रदान करते हुए प्रोत्साहित किया गया।
मा० साकेन्द्र प्रताप सिंह, अध्यक्ष जिला पंचायत बिजनौर द्वारा गोष्ठी में उपस्थित सभी किसान भाईयों से अपेक्षा की गयी कि गोष्ठी में उपस्थित कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध विभागों एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जो जानकारी उपलब्ध करायी है उनका अनुश्रवण अवश्य करे साथ ही कृषि में नयी-नयी विधाओं का प्रयोग करते हुए सहफसली खेती करे ताकि अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके। गोष्ठी में उपस्थित किसान भाईयों से अपने खाने में मिलेट्स को समावेश करने का भी आग्रह किया गया एवं मिलेट्स के गुणों के विषय में भी बताया गया।
श्रीमती जसजीत कौर, जिलाधिकारी महोदय, बिजनौर द्वारा रबी उत्पादकता गोष्ठी 2025 में जनपद में रबी सीजन के अन्तर्गत बीज, उर्वरक, मिनीकिट वितरण आदि की उपलब्धता के विषय में जानकारी दी गयी एवं कृषि विभाग में संचालित योजनाओं का लाभ न्याय पंचायत स्तर तक कृषकों को पहुँचाने के लिए गोष्ठी में उपस्थित अधिकारियों/कृषकों से अपेक्षा की गयी कि योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए जनपद के कृषकों को लाभान्वित करना सुनिश्चित करें। कृषि वैज्ञानिक कृषि की नवीनतम तकनीकी जानकारी कृषकों को उपलब्ध करायें ताकि कृषक कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर लाभान्वित हो सकें। इस सम्बन्ध में कृषि अधिकारियों एवं कृषि वैज्ञानिकों को निर्देश दिये गये कि इस सम्बन्ध में कार्य योजना तैयार कर रबी अभियान को सफल बनाएं। गोष्ठी में पराली प्रबन्धन के विषय में विस्तृत रूप से अवगत कराते हुए अधिकारियों/कृषकों से अपील की गयी कि खरीफ फसलों के अवशेषों को न जलाकर, उन अवशेषों से जैविक खाद का उत्पादन करे तथा जैविक खाद को अपने खेतों में डालकर खेतों की मिटटी की उर्वरकता बढ़ाये।
जिलाधिकारी श्रीमती कौर द्वारा गोष्ठी में उपस्थित सभी कृषकों एवं अन्य अधिकारियों को कृषि अपशिष्ट न जलाने की शपथ दिलायी गयी। गोष्ठी में उपस्थित कृषकों से अपेक्षा की गयी कि शासन द्वारा दिये गये निर्देशों के कम में जनपद में फार्मर रजिस्ट्री बनवाने हेतु ग्राग पंचायतों में कैम्पों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें राजस्व एवं कृषि विभाग के कर्मचारी उपस्थित होकर किसान भाईयों की फार्मर रजिस्ट्री करा रहे है। अतः सभी किसान भाई अपनी-अपनी फार्मर रजिस्ट्री अवश्य कराये।
डा० घनश्याम वर्मा उप कृषि निदेशक, बिजनौर द्वारा कृषि विभाग में संचालित योजनाओं में देय सुविधाएं/अनुदान के विषय में विस्तृत रूप से अवगत कराया गया। साथ ही गोष्ठी में फसल अवशेष प्रबन्धन सम्बन्धी बिन्दुओं को अपनायें एवं अपने ग्राम के अन्य कृषकों में भी फसल अवशेष प्रबन्धन के सम्बन्ध में विस्तृत रूप से जानकारी देने का अनुरोध किया गया तथा गोष्ठी में दूर-दराज से आये कृषकों को फसल अवशेष प्रबन्धन करने हेतु इन-सी-टू योजना अन्तर्गत अनुदान पर कृषि यन्त्र वितरण किये जा रहे है की जानकारी दी गयी। साथ ही जनपद स्तर से विकास खण्ड स्तर तक गोष्ठियां, वाल पेटिंग, होर्डिंग एवं अन्य माध्यमों से प्रसार प्रसार कर कृषकों को जागरूक किया जा रहा है कि कृषक फसल अवशेष न जलाकर जैविक खाद का उत्पादन कर, कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर खेती कर सकते है। गोष्ठी में श्री अन्न (मिलेट्स) की तकनीकी जानकारी फसलवार यथा ज्वार, बाजरा, रागीं, कंगनी, कुटकी, सांवा, कोदो, चीना, कुटू एवं रामदाना के विषय में विस्तृत रूप से तकनीकी जानकारी देते हुए बताया गया कि श्री अन्न खाद, पशु चारा, ईंधन, दवाइयां एवं अन्य मूल्य सवंर्धित उत्पादों के रूप में उपयोग किया जाता है। मिलेट्स शुष्क क्षेत्रों और कम उपजाऊ भूमि में भी अच्छी उपज दे सकते हैं। सूखा सहन करने की क्षमता होती है। इनमें बीज, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई जल आदि कृषि निवेश कम लगने से किसानों को कम लागत में अधिक लाभ मिलता है। ये रोग प्रतिरोधी फसलें हैं। इनमें कीट व व्याधि कम लगने से किसानों की लागत कम हो जाती है। मिलेट्स का भंडारण लंबे समय तक किया जा सकता है। श्री अन्न अधिक लाभप्रद, पौष्टिक और पर्यावरण अनुकूल होने के कारण इसकी कृषि निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका है जो कि किसानों और उपभोक्ता दोनों के लिए हितकारी है।
डा० के०के० सिहं, डा० पिन्टू सिंह एवं डा० शिवांगी कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र नगीना द्वारा गोष्ठी में उपस्थित कृषकों को रबी फसलों के विषय में नवीनतम जानकारी देते हुए फसलों के बोने एवं फसलों की बुआई के समय पर बरती जाने वाली सावधानियों के विषय में जानकारी दी गयी साथ ही रबी फसलों में लगने वाले कीट एवं रोग से बचाव आदि के विषय में अवगत कराया गया।
गोष्ठी का संचालन योगेन्द्र पाल सिंह सेवानिवृत्त विषय वस्तु विशेषज्ञ द्वारा किया गया।
@ SAMJHO BHARAT
Nitin Chauhan -7017912134





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