शामली: ग्राम केरट में भूमि विवाद पर उपजिलाधिकारी से गुहार, पर कार्यवाही अब तक अधर में

जनपद शामली के ग्राम केरट निवासी कुर्बान पुत्र अहमद हसन ने उपजिलाधिकारी, तहसील ऊन को एक शिकायती पत्र सौंपकर ग्राम समाज की भूमि पर हो रहे अवैध कब्ज़े और निर्माण कार्य को रोकने की गुहार लगाई थी। यह प्रकरण 2 सितंबर 2025 को सामने आया, जब आवेदक ने स्पष्ट रूप से बताया कि ग्राम समाज की भूमि खसरा संख्या 460 पर अवैध तरीके से दुकान का निर्माण किया जा रहा है।

विवादित भूमि का विवरण

आवेदनकर्ता के अनुसार—

  • ग्राम समाज की भूमि खसरा संख्या 460 के साथ लगे खसरा नंबर 459 एवं 458 पर कुछ व्यक्तियों द्वारा निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
  • गाँव के निवासी अनुप कुमार पुत्र सत्तपाल (निवासी टीटोरा) और सुशील वंद (निवासी शामली) का नाम इसमें प्रमुख रूप से सामने आया है।
  • यह निर्माण कार्य पूर्णतः अवैध है और ग्राम समाज की भूमि के अधिकारों का खुला उल्लंघन है।

प्रशासनिक आदेश और सच्चाई

आवेदन पर तत्कालीन एसडीएम ऊन ने आदेशित किया था कि लेखपाल/राजस्व निरीक्षक मौके पर जाकर जांच करें और कब्ज़ा रोकें। आदेश पर स्पष्ट निर्देश लिखे गए कि कार्यवाही में कोई ढिलाई न बरती जाए।

लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार, आज तक इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।

  • न तो मौके पर कोई जांच टीम सक्रिय रूप से पहुँची।
  • न ही अवैध निर्माण रोका गया।
  • इससे शिकायतकर्ता और गाँव के अन्य लोगों में गहरी नाराज़गी और असंतोष है।

आवेदक की पीड़ा

शिकायतकर्ता का कहना है कि—

“मैंने पूरी उम्मीद के साथ प्रशासन को आवेदन दिया था। एसडीएम साहब ने भी तत्काल आदेश किया, लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक कुछ नहीं हुआ। अवैध निर्माण लगातार जारी है और ग्राम समाज की भूमि पर कब्ज़ा बढ़ता जा रहा है।”

ग्राम समाज की भूमि पर कब्ज़े के कानूनी परिणाम ⚖️

उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 और राजस्व संहिता के अनुसार—

  • ग्राम समाज की भूमि पर निजी कब्ज़ा पूरी तरह गैरकानूनी है।
  • कब्ज़ा करने वाले पर जुर्माना और बेदखली की कार्रवाई की जा सकती है।
  • यदि प्रशासन चाहे तो अवैध निर्माण ध्वस्त कर सकता है।
  • ज़बरन कब्ज़ा करने पर फौजदारी मुकदमा दर्ज होने की भी संभावना रहती है।

क्यों अहम है यह मामला?

ग्राम समाज की भूमि गाँव की सामूहिक संपत्ति होती है, जो आम उपयोग जैसे—

  • रास्ते,
  • तालाब,
  • चारागाह,
  • या अन्य सार्वजनिक प्रयोजन—
    के लिए सुरक्षित रहती है। यदि इस पर कब्ज़ा शुरू हो जाए और प्रशासन चुप रहे, तो आगे चलकर गाँव के अन्य हिस्सों में भी यही प्रवृत्ति बढ़ सकती है।

ग्रामीणों में आक्रोश

ग्राम केरट के ग्रामीणों का कहना है कि यह प्रशासन की उदासीनता का परिणाम है कि अवैध कब्ज़ेदारों के हौसले बुलंद हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में और भी विवाद व संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।


✍️ पत्रकार शशिकांत सरोहा 
विशेष रिपोर्ट, जनपद शामली

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समाचार में लगाया गया फ़ोटो काल्पनिक है। 

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