कैराना। शामली जनपद का कैराना कस्बा आज डग्गामार वाहनों का गढ़ बन चुका है। यहां परिवहन विभाग के नियम सिर्फ कागजों में लिखे रह गए हैं, जबकि जमीनी हकीकत में खुलेआम अवैध गाड़ियां फर्राटा भर रही हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे खेल में आरटीओ की चुप्पी और संदेहास्पद भूमिका ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हर सड़क पर मौत का खेल
कस्बे में रोजाना सैकड़ों डग्गामार वाहन बिना परमिट, बिना फिटनेस और बिना किसी सुरक्षा इंतज़ाम के दौड़ते हैं। इन वाहनों में यात्रियों को भेड़-बकरियों की तरह ठूंस दिया जाता है। 15 से 20 तक सवारियां ओवरलोड करने की वजह से हादसे का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। लेकिन अधिकारी सिर्फ तमाशा देख रहे हैं। लोग तंज कसते हैं – “शायद आरटीओ किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं।”
अवैध स्टैंडों पर वसूली का बोलबाला
कांधला तिराहा, बस स्टैंड और पालिका मार्किट के पास अवैध स्टैंडों का जाल फैला है। यहां से हर दिन लाखों रुपये की वसूली होती है। सूत्रों का दावा है कि इस वसूली का बड़ा हिस्सा सीधे अधिकारियों की जेब में जाता है। यही वजह है कि आरटीओ के दफ्तर में कार्रवाई की फाइलें कभी खुलती ही नहीं।
आदेशों की धज्जियां, सरकार की साख पर दाग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद आदेश दिए थे कि डग्गामार वाहनों और अवैध स्टैंडों पर तुरंत कार्रवाई हो। मगर कैराना में इन आदेशों को खुलेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है। आरटीओ की ढिलाई और चुप्पी ने न सिर्फ कानून का मजाक बनाया है, बल्कि सरकार की साख को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
सूत्रों का बड़ा आरोप
सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि डग्गामार वाहन मालिकों से “मासिक वसूली” की जाती है। यह वसूली एक तय रेट पर होती है और रकम ऊपर तक पहुंचाई जाती है। यही कारण है कि चाहे कितनी भी शिकायतें हों, डग्गामार वाहन कभी बंद नहीं होते। सूत्र कहते हैं – “बिना आरटीओ की सरपरस्ती के कैराना में यह अवैध धंधा संभव ही नहीं।”
हादसों का टाइम बम, फिर भी चुप्पी
सड़कें आए दिन जाम से जूझ रही हैं। बेतरतीब खड़े डग्गामार वाहन लोगों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। मगर आरटीओ के दफ्तर में सन्नाटा पसरा है। आरोप है कि हर गाड़ी का हिसाब सिर्फ नोटों में किया जाता है, सुरक्षा और कानून की कोई कीमत नहीं है।
जनता का आक्रोश चरम पर
कैराना के लोग अब आगबबूला हैं। नागरिकों का कहना है कि आरटीओ की वजह से कैराना डग्गामार वाहनों का अड्डा बन गया है। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो वे सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। जनता का कहना है – “आरटीओ ने इस कस्बे को मौत और वसूली का बाजार बना दिया है।”
करोड़ों का राजस्व हड़पने का आरोप
हर महीने सरकार को टैक्स और परमिट से करोड़ों की राशि मिलनी चाहिए, मगर यह रकम खजाने तक नहीं पहुंच रही। सूत्रों का कहना है कि यह पैसा जेबों में बंट रहा है। सवाल उठ रहा है कि आखिर आरटीओ अपने दफ्तर को कानून लागू करने का स्थान बना रहे हैं या वसूली का अड्डा?
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