विश्वविख्यात दरगाह हज़रत साबिर ए पाक का सालाना उर्स आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। हर साल लाखों जायरीन यहां दूर-दराज़ से पहुंचते हैं और मेले जैसा नज़ारा देखने को मिलता है। लेकिन इस बार एक बार फिर प्रशासन के तमाम दावे ज़मीन पर बिखरे नज़र आ रहे हैं। सफ़ाई व्यवस्था, जो उर्स का सबसे अहम और संवेदनशील मुद्दा है, पूरी तरह से चरमरा गई है।
गंदगी और कूड़े के ढेर ने बिगाड़ा माहौल
उर्स की 12वीं तारीख़ तक ही हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि जगह-जगह कूड़े के ढेर, नालियों की गंदगी और दुर्गंध ने जायरीनों और स्थानीय लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने नाराज़गी जताते हुए कहा—
“हम साबिर ए पाक की जियारत के लिए बड़ी उम्मीदों के साथ यहां आते हैं, लेकिन गंदगी और दुर्गंध देखकर मन बहुत दुखी होता है। यहां की सफ़ाई व्यवस्था पूरी तरह से फेल है।”
प्रशासनिक आदेशों की अनदेखी
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की दीपक रामचंद्र शेट ने मेले से पहले ही साफ-सफ़ाई को लेकर सख्त निर्देश दिए थे। इसके बावजूद नगर पंचायत पिरान कलियर की लापरवाह कार्यप्रणाली साफ झलक रही है। मेले की सफ़ाई व्यवस्था संभालने के लिए अलग से ठेका भी दिया गया, लेकिन परिणाम उल्टा निकला।
- रुड़की मेन रोड पर गंदगी और खुले में शौच की बदबू से राहगीरों और जायरीनों का गुजरना मुश्किल।
- दरगाह बाज़ार क्षेत्र में कूड़े के ढेर, मक्खियों और मच्छरों का बढ़ता प्रकोप।
- संक्रमण जनित बीमारियों का ख़तरा स्थानीय दुकानदारों और जायरीनों के लिए सिरदर्द बन गया है।
दुकानदारों का व्यापार प्रभावित
दरगाह बाज़ार के दुकानदारों का कहना है कि जगह-जगह फैली गंदगी और बदबू से जायरीन दुकानों पर कम रुक रहे हैं। इसका सीधा असर उनकी आमदनी पर पड़ रहा है। एक दुकानदार ने नाराज़गी जताते हुए कहा—“हमारी दुकानें खाली पड़ी रहती हैं। ग्राहक बदबू और गंदगी की वजह से ज्यादा देर रुकते ही नहीं। प्रशासन सिर्फ़ खोखले वादे करता है।”
मोबाइल टॉयलेट भी बेकार साबित
जगह-जगह लगाए गए मोबाइल टॉयलेट भी पूरी तरह से लापरवाही की भेंट चढ़ गए हैं। उनमें न तो पानी है, न ही साफ-सफ़ाई की व्यवस्था। अंदर दुर्गंध इतनी ज़्यादा है कि लोग उनका इस्तेमाल करना भी नहीं चाहते। इससे जायरीनों को और परेशानी हो रही है।जायरीनों और स्थानीय लोगों की मांग
गंदगी और अव्यवस्था से परेशान लोगों ने साफ़-साफ़ कहा कि प्रशासन को तत्काल कदम उठाने चाहिए। यदि समय रहते सफ़ाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई तो इससे उर्स का माहौल बिगड़ सकता है और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।लोगों की मांग है कि—
- नगर पंचायत पिरान कलियर की जवाबदेही तय की जाए।
- सफ़ाई कर्मचारियों की तैनाती और निगरानी मज़बूत हो।
- मोबाइल टॉयलेट को सही ढंग से संचालित किया जाए।
नतीजा
आस्था और श्रद्धा के इस मेले को सफल बनाने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था का सशक्त होना बेहद ज़रूरी है। लेकिन इस बार भी साफ़-सफ़ाई पर किए गए दावे खोखले साबित हो रहे हैं। यदि हालात नहीं सुधरे तो यह न केवल जायरीनों के लिए परेशानी का सबब बनेगा, बल्कि पिरान कलियर की छवि पर भी नकारात्मक असर डालेगा।📰 यह विशेष रिपोर्ट “समझो भारत” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए पिरान कलियर (उत्तराखंड) से पत्रकार तसलीम अहमद द्वारा प्रस्तुत की गई है।
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