✍️ शाकिर अली, 'समझो भारत' राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, झिंझाना (उत्तर प्रदेश)
बिड़ौली/झिंझाना | जुलाई 2025:
झिंझाना की पावन भूमि पर संत स्वरूपानंद गिरी का प्रवास बीते सप्ताह से भक्तिमय वातावरण का केंद्र बना रहा। गुरु पूर्णिमा उत्सव के उपलक्ष्य में चल रहे नित्य संध्याकालीन सत्संग में रविवार की शाम का सत्र विशेष रहा, जिसमें संत ने ॐ (ओंकार) की दिव्यता, सत्संग की सार्थकता और गुरु-शिष्य परंपरा की गूढ़ता को विस्तार से समझाया।
🕉️ ओंकार - ब्रह्मा, विष्णु, महेश का बीज मंत्र
संत स्वरूपानंद गिरी ने अपने प्रवचन में कहा:
“ॐ का उच्चारण ब्रह्मांडीय कंपन है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का मूल स्वरूप है। इसका जाप करने से अंतःकरण शुद्ध होता है और आत्मा को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।”
उन्होंने बताया कि मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार — यह सब अंतरण के अंग हैं, जिन्हें शुद्ध करने के लिए भजन, सुमिरन, जाप, तप, और दान अनिवार्य हैं।
📿 सत्संग की तीन महत्वपूर्ण अवस्थाएं
संत ने सत्संग की महिमा बताते हुए तीन मुख्य बिंदुओं पर बल दिया:
- सुनना: एकाग्रचित होकर प्रवचन को आत्मसात करना।
- चिंतन/मनन: सुनाई बातों पर विचार कर जीवन में उतरना।
- अनुकरण: ईश्वर प्राप्ति के लिए अपने दोषों का परिष्कार कर बताए मार्ग पर चलना।
🙏 गुरु आज्ञा का पालन – पाद पद्माचार्य की कथा
प्रवचन के दौरान संत ने एक प्रेरणादायक प्रसंग सुनाया —आदि गुरु शंकराचार्य के शिष्य पाद पद्माचार्य जंगल से लौटते समय भारी वर्षा के कारण एक जलधारा में फंस गए थे। गुरु के आदेश पर उन्होंने जल में पग बढ़ाया और प्रत्येक पग पर कमल के पत्ते प्रकट होते गए। यह प्रसंग गुरु आज्ञा की महानता और श्रद्धा के चमत्कार को दर्शाता है।
🌸 विदाई में श्रद्धा की बयार
सोमवार की सुबह जब संत स्वरूपानंद गिरी झिंझाना से आगे की यात्रा के लिए प्रस्थान कर रहे थे, तो उन्हें मांगलिक भजनों और भक्तों के श्रद्धा-स्पर्श के साथ विदाई दी गई। महिलाओं, बच्चों और पुरुष श्रद्धालुओं ने चरणों में नमन कर संत का आशीर्वाद प्राप्त किया।
संत ने सभी को सद्मार्ग पर चलने, सेवा भाव अपनाने और ईश्वर से जुड़ने का आशीर्वचन देते हुए आगे का मार्ग ग्रहण किया।
📌 ‘समझो भारत’ की नज़र से
संतों का आशीर्वचन और सत्संग का स्पर्श जीवन को दिशा देता है। संत स्वरूपानंद गिरी जी की वाणी ने झिंझाना के जनमानस में भक्ति, विवेक और आंतरिक चेतना का नव संचार किया है। ऐसे आयोजनों से समाज को आध्यात्मिक ऊर्जा और नैतिक प्रेरणा मिलती है।
📞 संपर्क करें:
शाकिर अली
पत्रकार – 'समझो भारत' राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📍 झिंझाना, उत्तर प्रदेश
📱 8010884848
📧 samjhobharat@gmail.com
जहां ओंकार की ध्वनि गूंजती है, वहां आत्मा को ईश्वर का साक्षात्कार होता है।
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