गगोल गांव में किशोर की पीट-पीटकर हत्या: इंसानियत पर फिर एक वार

लेखक: मनीष सिंह | समझो भारत न्यूज़, मेरठ

📍 स्थान: गगोल गांव, थाना परतापुर, मेरठ, उत्तर प्रदेश
📅 दिनांक: गुरुवार शाम

गांव की गलियों में खिलखिलाने वाली हँसी और बच्चों की दौड़भाग अचानक एक चीख में बदल गई। मेरठ के परतापुर थाना क्षेत्र के गगोल गांव में गुरुवार शाम एक 15 वर्षीय छात्र चिराग की निर्दयता से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। चिराग अभी 9वीं कक्षा का छात्र था—एक सामान्य सा किशोर, जिसकी जिंदगी अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुई थी।

मौत का कारण बना एक तुच्छ विवाद

बताया जा रहा है कि गांव के ही दो किशोरों के साथ चिराग का किसी बात को लेकर मामूली विवाद हुआ था। यह विवाद इतनी भयावह हिंसा में बदल जाएगा, किसी ने सोचा न था। दोनों आरोपी किशोरों ने चिराग को इतना पीटा, खासकर उसकी छाती पर लगातार वार किए, कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

शर्मनाक और दिल दहला देने वाली बात यह है कि हमलावर तब तक चिराग को मारते रहे जब तक उसकी साँसें थम नहीं गईं

घटना के बाद अफरा-तफरी और मातम का माहौल

घटना के बाद दोनों आरोपी फरार हो गए। जैसे ही यह दर्दनाक खबर चिराग के परिजनों तक पहुँची, पूरे परिवार में कोहराम मच गया। ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुँची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

क्या हमने किशोरों को गुस्सा और हिंसा की राह पर छोड़ दिया है?

यह केवल एक हत्या नहीं है, यह समाज की चुप्पी और विफलता का सबूत है। आखिर हम अपने बच्चों को कैसा माहौल दे रहे हैं कि तुच्छ झगड़े जानलेवा बन रहे हैं? क्या हमने संवाद और सहनशीलता की जगह अब हथियार और हिंसा को किशोरों के हाथ में दे दिया है?

पुलिस कर रही है जांच, लेकिन सवाल गहरे हैं

फिलहाल पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है। लेकिन यह घटना हम सभी से कुछ कठिन प्रश्न पूछती है:

  • क्या स्कूल और घरों में हम बच्चों को गुस्से पर नियंत्रण सिखा पा रहे हैं?
  • क्या ग्रामीण क्षेत्रों में आपसी विवादों को सुलझाने के तरीके सिकुड़ गए हैं?
  • क्या हम समय रहते बच्चों की मानसिक स्थिति को समझ पा रहे हैं?

निष्कर्ष: एक मासूम की मौत, समाज की आत्मा पर एक तमाचा

चिराग की मौत केवल उसके परिवार के लिए ही नहीं, पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। यह समय है कि हम introspection करें — अपने घरों में, स्कूलों में, समुदायों में — और बच्चों को हिंसा से दूर रखने के लिए ठोस प्रयास करें।

🙏 श्रद्धांजलि चिराग — तुम्हारा बचपन समाज की असंवेदनशीलता की भेंट चढ़ गया। लेकिन तुम्हारी कहानी समाज को झकझोरने के लिए काफी है।


📌 रिपोर्टर: मनीष सिंह
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