📍 स्थान: लखनऊ / छतरपुर
📅 तिथि: 28 जुलाई, 2025
धार्मिक आस्था या ढाल बनी धोखाधड़ी की?
भारत में श्रद्धा, आस्था और धर्म हमेशा से गहरी जड़ें रखते आए हैं। लेकिन जब उन्हीं प्रतीकों के पीछे से मानव तस्करी जैसे घिनौने आरोप उभरते हैं, तो न केवल विश्वास डगमगाता है, बल्कि पूरे समाज की नैतिकता पर सवाल खड़े हो जाते हैं।
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित प्रसिद्ध बागेश्वर धाम इस समय चर्चा के केंद्र में है। और कारण है – एक एम्बुलेंस में जबरन बैठाई गईं 13 महिलाएं और लखनऊ विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप।
क्या है पूरा मामला?
दिनांक 28 जुलाई की रात, लवकुशनगर थाना क्षेत्र के पठा चौकी के पास डायल-100 को सूचना मिली कि एक एम्बुलेंस में कुछ महिलाओं को जबरन ले जाया जा रहा है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एम्बुलेंस को रोका और महिलाओं को थाने लाया।
महिलाओं के चौंकाने वाले आरोप
थाने में पूछताछ के दौरान महिलाओं ने बताया कि 'मिनी' नामक एक महिला, जो बागेश्वर धाम में सेवादार है, ने बाल पकड़कर उन्हें जबरन एम्बुलेंस में बैठाया और धमकी दी कि अगर उन्होंने विरोध किया तो जान से मार दिया जाएगा।
एम्बुलेंस ड्राइवर का कबूलनामा
एक वायरल वीडियो में एम्बुलेंस
ड्राइवर यह कहता नजर आ रहा है कि उसे ‘कल्लू दादा’ नामक सेवादार ने आदेश दिया था कि इन महिलाओं को महोबा रेलवे स्टेशन पर छोड़ आना है।लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का विस्फोटक आरोप
इस घटना को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रविकांत चंदन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए गंभीर टिप्पणी की:“धार्मिक आस्था की आड़ में महिलाओं की तस्करी हो रही है। मेरे पास पुख़्ता वीडियो प्रमाण हैं। अगर यह सच साबित होता है, तो दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।”
प्रोफेसर रविकांत ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका यह बयान किसी भी राजनीतिक या निजी कारण से नहीं, बल्कि एक नागरिक और शिक्षक के सामाजिक दायित्व के तहत है।
बागेश्वर धाम की सफाई: “ये महिलाएं अनुशासनहीन थीं”
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए बागेश्वर धाम के सेवादारों ने पूरी तरह से इन आरोपों को खारिज कर दिया।धाम से जुड़े सेवादार कुंज बिहारी का कहना है कि ये महिलाएं पिछले 6 महीने से धाम में रह रही थीं और उन पर चोरी, चेन स्नैचिंग और अनुशासनहीनता के आरोप थे।
धाम की जन सेवा समिति का भी कहना है कि 54 लोगों को उनके असली नाम छुपाकर धाम में रहने के कारण बाहर किया गया, जिनमें ये महिलाएं भी शामिल थीं।
पुलिस जांच जारी: फॉरेंसिक जांच की तैयारी
छतरपुर पुलिस के अनुसार, सभी महिलाओं को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है, और अब पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है।सभी वीडियो फुटेज और वायरल क्लिप्स को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जा रहा है, ताकि आरोपों की सच्चाई सामने लाई जा सके।
❓ प्रश्न जो इस घटना ने खड़े किए:
- क्या धार्मिक संस्थान वाकई महिलाओं के शोषण का केंद्र बन रहे हैं?
- क्या देश में आस्था की आड़ में कानून को ठेंगा दिखाया जा रहा है?
- और सबसे अहम — क्या यह मामला एक संगठित तस्करी नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है?
निष्कर्ष: सच सामने आना ज़रूरी है, चाहे कोई भी हो दोषी
यह मामला सिर्फ धीरेंद्र शास्त्री या बागेश्वर धाम से जुड़ा नहीं है। यह सवाल पूरे समाज की संवेदनशीलता, न्याय प्रणाली की पारदर्शिता और मीडिया की जिम्मेदारी से जुड़ा है।
अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह मामला आस्था पर सबसे बड़ा कलंक बन सकता है।
और अगर आरोप झूठे साबित होते हैं, तो यह धार्मिक संस्थाओं को बदनाम करने की साज़िश के रूप में सामने आएगा।
👉 अब देखना यह है कि जांच किस दिशा में जाती है, और सच की जीत होती है या एक बार फिर मामला समय के साथ धुंधला पड़ जाएगा।
📌 रिपोर्टर: मनीष सिंह
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