यह पर्व श्रावण शुक्ला सप्तमी के पावन दिन पर मनाया जाता है, जिस दिन जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान श्री 1008 पारसनाथ जी ने तीर्थराज सम्मेद शिखरजी (झारखंड) पर निर्वाण प्राप्त किया था।
यह दिन न केवल पारसनाथ भगवान के निर्वाण का स्मरण कराता है, बल्कि यह सम्पूर्ण मानवता को मोक्ष मार्ग की प्रेरणा भी देता है।
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🛕 दिन की शुरुआत –
अभिषेक और शांतिधारा
सुबह मंदिर प्रांगण में आध्यात्मिक वातावरण में गूंजते "ओम ह्रीं श्री पार्श्वनाथाय नमः" के मंत्रों के बीच भगवान पारसनाथ की प्रतिमा का विधिपूर्वक अभिषेक किया गया। शांतिधारा के दौरान भक्तों ने पवित्र जलधारा से प्रभु को स्नान कराते हुए अपने मन को भी शुद्ध किया।
इस पुण्य अवसर पर श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से निर्वाण कांड का पाठ किया, जो तीर्थंकरों की महिमा, उनके उपदेश और मोक्ष मार्ग को जीवन्त करता है।
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🍲 निर्वाण लड्डू समर्पण –
भक्ति का मधुर प्रसाद
पाठ के पश्चात समूहिक निर्वाण लड्डू समर्पण कार्यक्रम आयोजित हुआ। यह लड्डू प्रभु के मोक्ष की स्मृति में समर्पित किया जाता है, जिसमें भक्ति, सेवा और समर्पण की भावना होती है।
श्रद्धालुओं ने एक स्वर में "निर्वाण लड्डू समर्पयामि" कहते हुए प्रभु के श्रीचरणों में मिठास भरा यह प्रतीक चढ़ाया।
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📿 कल्याण मंदिर विधान –
पुण्य संचय की विशेष साधना
महोत्सव के क्रम में कल्याण मंदिर विधान का आयोजन हुआ। यह विधान विशेष मंत्रोच्चारण, पूजन और भावनाओं के माध्यम से प्रभु के कल्याणकारी स्वरूप को नमन करने की विधि है। इसमें भाग लेकर श्रद्धालुओं ने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति की कामना की।
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🌄 तीर्थराज सम्मेद शिखरजी –
जैन श्रद्धा का शिखर
पारसनाथ भगवान का निर्वाण जिस पवित्र स्थल सम्मेद शिखरजी पर हुआ, वह जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 के मोक्ष का साक्षी स्थल है। यह पर्व सिर्फ पारसनाथ भगवान के मोक्ष की स्मृति नहीं है, बल्कि यह सम्मेद शिखर के महत्व को भी प्रकट करता है – जहाँ जाना हर जैन श्रद्धालु का स्वप्न होता है।
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👨👩👧👦 श्रद्धालुओं की भागीदारी –
समर्पण का दृश्य
इस धार्मिक अवसर पर नगर के श्रद्धालु पूरे उत्साह और भक्ति के साथ उपस्थित रहे। जिनमें प्रमुख रूप से –
नीरज जैन, सुदेश जैन, दीपक जैन, विपुल जैन, अजय जैन, मुकेश जैन, ऋषभ जैन, संभव जैन, ममता जैन, दिशा जैन, रेखा जैन, शिखा जैन, संगीता जैन, अर्चिता जैन, नीलम जैन सहित बड़ी संख्या में भक्तों की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा प्रदान की।
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📸 मीडिया कवरेज –
"समझो भारत" की सक्रिय भूमिका
इस मोक्ष महोत्सव की पवित्र झलकियों को राष्ट्रीय समाचार पत्रिका "समझो भारत" द्वारा विशेष रूप से कवर किया गया। पत्रकार नीरज जैन की रिपोर्टिंग के माध्यम से यह समाचार जन-जन तक पहुंचा।
📧 samjhobharat@gmail.com
🌐 www.samjhobharat.com
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🔚 निष्कर्ष –
भक्ति और मुक्ति की प्रेरणा
पारसनाथ भगवान का मोक्ष महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मकल्याण की दिशा में एक जागृति है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन का अंतिम उद्देश्य मोक्ष है – जहां न बंधन है, न पीड़ा, केवल शांति है।
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