"लाईसेंस नहीं मनमर्जी की छूट": डीएम देहरादून का कड़ा संदेश, बेटे-पत्नी पर बंदूक तानने वाले पिता का शस्त्र लाइसेंस किया निलंबित

✍️ तसलीम अहमद, समझो भारत न्यूज़, हरिद्वार

📍 देहरादून, उत्तराखंड


देहरादून ज़िले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने शस्त्र लाइसेंस के दुरुपयोग को लेकर पूरे प्रदेश में एक नई बहस छेड़ दी है। एक पिता—जो आईटीबीपी में इंस्पेक्टर पद पर तैनात है—ने अपने ही सगे बेटे और पूर्व पत्नी को बार-बार बंदूक से धमकाया, और अब उसी असलहे का लाइसेंस मौके पर ही डीएम द्वारा निलंबित कर दिया गया है।

🔥 डीएम सविन बंसल का विशेषाधिकार: 'अब बहुत हुआ!'

रेसकोर्स, देहरादून के निवासी विकास घिल्डियाल ने जनता दरबार में जिलाधिकारी को बताया कि उनके माता-पिता के तलाक़ के बाद भी उनके पिता आए दिन उन्हें और उनकी माता को लाइसेंसी बंदूक से डराते हैं। डर का यह माहौल इतना भयावह था कि कभी भी कोई अनहोनी हो सकती थी।

इस गंभीर शिकायत को सुनने के बाद, जिलाधिकारी सविन बंसल ने मौके पर ही विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही एसएसपी देहरादून को निर्देशित किया गया कि:

  • उक्त शस्त्र को जब्त कर थाने में जमा करवाया जाए
  • दोषी इंस्पेक्टर के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाए

🛑 लाइसेंस का मतलब 'ताक़त का प्रदर्शन' नहीं होता!

डीएम देहरादून ने एक साफ़ और तीखा संदेश दिया—

"लाइसेंस मनमानी का अधिकार नहीं होता। जिसको जिम्मेदारी का अहसास नहीं, उसे तमीज़ सिखाना प्रशासन का दायित्व है।"

यह वक्तव्य उन तमाम लोगों के लिए चेतावनी है जो लाइसेंस को शक्ति प्रदर्शन का औज़ार बना लेते हैं। शस्त्र केवल आत्मरक्षा के लिए होते हैं, न कि अपने ही परिवार पर धौंस जमाने का हथियार


👨‍👩‍👦 परिवार के भीतर 'गन पॉइंट पर डर'

यह मामला सिर्फ एक कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि **सामाजिक चेतना का विषय

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