रिपोर्ट: ज़मीर आलम | समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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शामली |
उत्तर प्रदेश के एक व्यस्त हाईवे पर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब एक चलती कार अचानक आग का गोला बन गई। कार में सवार एक निजी कंपनी के अकाउंटेंट को उस वक्त गंभीर झुलसनें आईं, लेकिन उसकी सतर्कता और हिम्मत ने उसकी जान बचा दी।
हादसे का विवरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह घटना दोपहर के समय हुई जब एक प्राइवेट कंपनी का अकाउंटेंट अपनी कार से ऑफिस कार्यवश सफर कर रहा था। हाईवे पर तेज रफ्तार में दौड़ रही गाड़ी में अचानक से धुआं उठने लगा।
शुरुआत में धुआं कार के बोनट से आ रहा था, लेकिन कुछ ही पलों में कार में भीषण आग लग गई।
यात्री ने तुरंत स्थिति को भांपते हुए चलती गाड़ी से कूदकर अपनी जान बचाई, हालांकि इस दौरान वह हाथ और पीठ में झुलस गया। राहगीरों की मदद से उसे प्राथमिक उपचार के लिए पास के अस्पताल ले जाया गया।
दमकल विभाग की तत्परता से टला बड़ा हादसा
घटना की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की टीम कुछ ही मिनटों में मौके पर पहुंची।
दमकलकर्मियों ने समय रहते आग पर काबू पाया, अन्यथा पास से गुजर रहे अन्य वाहनों और स्थानीय जनों की जान को भी खतरा हो सकता था।
हालांकि, जब तक आग बुझाई जाती, तब तक कार पूरी तरह जलकर खाक हो चुकी थी। गाड़ी की हालत ऐसी थी कि उसकी पहचान कर पाना भी मुश्किल हो गया।
क्या थी आग लगने की वजह?
घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुँची पुलिस और दमकल टीम ने शॉर्ट सर्किट को संभावित कारण बताया है।
हालांकि, तकनीकी जांच के बाद ही स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि यह आग बैटरी से निकली चिंगारी थी, या किसी अन्य यांत्रिक गड़बड़ी के कारण गाड़ी में आग लगी।
गाड़ी में कथित रूप से एलपीजी या सीएनजी किट नहीं लगी थी, जिससे संभावना बढ़ जाती है कि यह दुर्घटना कार के इलेक्ट्रिकल सिस्टम से जुड़ी हो।
अकाउंटेंट की सूझबूझ बनी जीवन रक्षक
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अहम बात यह रही कि गाड़ी चला रहे अकाउंटेंट ने घबराने के बजाय सूझबूझ से काम लिया।
उसने तुरंत गाड़ी साइड में लगाकर दरवाजा खोला और कूदकर अपनी जान बचाई।
अगर वह कुछ पल और रुकता, तो परिणाम और भी भयावह हो सकते थे।
समझो भारत की अपील:
"समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका" इस घटना के माध्यम से आम जनता से अपील करता है कि:
- गाड़ी की समय-समय पर सर्विसिंग कराना न भूलें।
- गाड़ी में फायर एक्सटिंग्विशर अवश्य रखें।
- सफर के दौरान अगर किसी भी तरह की तकनीकी गड़बड़ी महसूस हो तो तुरंत वाहन रोककर जांच करें।
- आपातकालीन स्थिति में घबराने के बजाय सूझबूझ से काम लें।
निष्कर्ष:
एक आम सी लगने वाली दोपहर, एक दौड़ती गाड़ी और एक पल में बदलती ज़िंदगी – इस पूरी घटना ने यह सिखा दिया कि ज़िंदगी कभी भी आपको चौंका सकती है।पर अकाउंटेंट की बहादुरी और प्रशासन की तत्परता ने यह साबित कर दिया कि अगर हम सतर्क रहें, तो हादसे को भी मात दी जा सकती है।
समझो भारत पूछता है — क्या अब समय आ गया है कि हम वाहनों की 'स्पीड' से ज़्यादा उनके 'सेफ्टी' पर ध्यान दें?
✍🏻 रिपोर्ट: ज़मीर आलम
📍 शामली मंडल संवाददाता, समझो भारत
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