तेरह मोरी बांध: धरोहर, जलस्रोत और उपेक्षा की त्रासदी

✍️ साजिद अली
मंडल प्रभारी, समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, आगरा
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"जिस संरचना ने कभी अकबर के साम्राज्य को पानी दिया, आज वही खुद पानी को तरस रही है।"

यह वाक्य तेरह मोरी बांध की मौजूदा स्थिति पर सटीक बैठता है।
आगरा जनपद की सबसे बड़ी ऐतिहासिक जल संचय संरचना और फतेहपुर सीकरी विश्व धरोहर समूह का अभिन्न हिस्सा, तेरह मोरी बांध आज उपेक्षा और प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ गया है।


🔍 बांध का अतीत: इतिहास और विरासत का सजीव प्रतीक

अकबर के काल में निर्मित यह बांध अपनी विशालता और तकनीकी सूझबूझ का जीता-जागता उदाहरण रहा है। इसके 13 मेहराबदार आउटलेट्स (जिन्हें स्थानीय भाषा में "मोहरी" कहा गया) के कारण इसका नाम तेरह मोरी बांध पड़ा। आज इनमें से केवल 12 ही बचे हैं, जिनमें से एक को मरम्मत के दौरान बंद कर दिया गया।

इतिहासकारों के अनुसार, यह बांध न सिर्फ फतेहपुर सीकरी महल समूह को जल उपलब्ध कराता था, बल्कि आसपास के गांवों – पाली पत्साल, चिकसाना, श्रृंगारपुर – को भी जीवन देता था।


🛑 वर्तमान हालात: सूखा, सन्नाटा और लापरवाही

मौजूदा मानसून सत्र में जब क्षेत्र के अधिकांश तालाब, पोखर पानी से भर चुके हैं, तेरह मोरी बांध जल-शून्य स्थिति में पड़ा है। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब ज्ञात होता है कि बांध के सातों गेट पूरी तरह फंक्शनल नहीं हैं, जिससे आने वाला पानी बिना रुके बहकर निकल जाता है।

स्थानीय जलग्रहण क्षेत्र लगभग 24 वर्ग किमी का है, जो जल संचय के लिए पर्याप्त है, लेकिन गेटों के जर्जर होने से यह जल बहकर निकल जाता है।


🏗️ रिस्ट्रक्चरिंग की ज़रूरत: कागज़ों से धरातल तक लाएँ बदलाव

राजस्थान की ओर से आने वाला पानी (अजान बांध से) अब अवरुद्ध है, लेकिन स्थानीय वर्षा और पुलियों से बहकर आने वाला पानी फिर भी पर्याप्त है। विशेषकर पाली पत्साल पुलिया से अब भी जलधारा तेरह मोरी बांध तक पहुंचती है। लेकिन गेट न खुलने से जल संचयन असंभव हो गया है।

उप्र सिंचाई विभाग के तृतीय मंडल आगरा के अधीन यह संरचना आती है, लेकिन मरम्मत के लिए न तो बजट मांगा गया और न ही कोई योजना ज़मीन पर उतरी।


💧 भूगर्भ जल रिचार्ज में भूमिका: जीवनदायिनी संरचना

तेरह मोरी बांध न केवल फतेहपुर सीकरी बल्कि अछनेरा विकासखंड के अतिदोहित श्रेणी वाले गांवों के भूजल रिचार्ज के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कभी खारी नदी में भरपूर जल के चलते इन क्षेत्रों का जलस्तर और गुणवत्ता संतुलित रहती थी। आज खारी नदी भी राजस्थान में बांध बनाए जाने के चलते सीमित हो चुकी है।


🔊 सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की पहल: जनदबाव से जागे व्यवस्था

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना और असलम सलीमी ने तेरह मोरी बांध क्षेत्र का निरीक्षण कर प्रशासन से मांग की है कि:

  • गेटों की मरम्मत कर उन्हें पुनः फंक्शनल बनाया जाए।
  • कैचमेंट एरिया को पुनर्संरचित कर जल धाराओं को व्यवस्थित रूप से बांध में पहुंचाने का प्रबंध हो।
  • मनरेगा के तहत पहाड़ियों से आने वाली जलधाराओं के वाटरशेड को विकसित किया जाए।

सोसायटी का मानना है कि बांध का पुनरुद्धार न केवल ऐतिहासिक महत्व की सुरक्षा करेगा, बल्कि आगरा जनपद के जल संकट को भी काफी हद तक हल कर सकता है।


🎬 सिनेमा और संस्कृति: बांध की भावनात्मक विरासत

एक समय था जब तेरह मोरी बांध सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था। 2006 तक यहाँ वीआईपी गेस्ट हाउस संचालन में था।
किशोर कुमार की आवाज़ में "हम हैं राही प्यार के" का एक गीत, और कैटरीना कैफ पर फिल्माया गया गीत, इसी स्थल पर शूट हुआ था।
प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता प्रमेंद्र पराशर को यह स्थान इतना प्रिय था कि वह जब भी फतेहपुर सीकरी आते, बांध की परिक्रमा और शांत जलवायु का आनंद लेते।


🔚 निष्कर्ष: इतिहास को बचाइए, भविष्य को संवारिए

तेरह मोरी बांध सिर्फ एक ऐतिहासिक संरचना नहीं, बल्कि जल, जीवन और विरासत का प्रतीक है। इसकी उपेक्षा, सिर्फ एक बांध का क्षरण नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक संवेदनहीनता का प्रमाण है।

अब समय है कि सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर इस सांस्कृतिक जलसंरचना को पुनर्जीवित करें। ताकि आने वाली पीढ़ियां न केवल इतिहास को जानें, बल्कि उसका लाभ भी उठा सकें।


📌 रिपोर्ट: साजिद अली, मंडल प्रभारी
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