✍️ रिपोर्ट: शाकिर अली, संवाददाता | समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📍 स्थान: बिडौली सादात, जिला शामली (उत्तर प्रदेश) | 🗓 तारीख़: 7 मोहर्रम 1447 हिजरी / 2 जुलाई 2025
सातवीं मोहर्रम की सायं बिडौली की गलियों में अज़ादारी की रवायती सदा गूंज उठी जब इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के वफ़ादार भाई हज़रत अब्बास अलमदार की याद में एक पुरअसर मातमी जुलूस निकाला गया। यह जुलूस इमामबारगाह से बरामद हुआ और अपने मुक़र्रर रास्तों से गुज़रता हुआ दोबारा इमामबारगाह पर खत्म हुआ।
🌙 मजलिस से हुआ जुलूस का आग़ाज़
जुलूस से पहले एक पुरमग़ज़ मजलिस का एहतमाम किया गया जिसमें बाराबंकी के मक़बूल आलिमे-दीन मौलाना जीशान आरिफ जैदपुरी ने नोहा और मर्सिया पढ़ने से पहले ख़िताब फरमाया। मौलाना ने अपने बयान में कहा:"हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम ने कर्बला में अपने भाई इमामे मजलूम की खातिर अपनी जान कुर्बान करके वफ़ा का ऐसा मिसाल पेश किया जिसे रहती दुनिया तक याद किया जाएगा। उनकी सीरत हमें बताती है कि हमे अच्छाई को अपनाना और बुराई से बचना चाहिए।"
मौलाना जीशान आरिफ ने भाईचारे, इंसानियत और हुसैनी उसूलों पर चलने की तालीम दी। उनके दिल को छू लेने वाले बयान पर मजलिस में बैठे सोगवार अश्कबार हो गए।
🚩 मातमी जुलूस: अलम, ताबूत और ज़ुलजनाह बरामद
इस जुलूस में हज़रत अब्बास अलमदार का अलम, इमाम हुसैन का ताबूत और कर्बला के वाक़े का प्रतीक ज़ुलजनाह बरामद किया गया। शिया सोगवारों ने इन निशानियों की ज़ियारत की और अकीदत के फूल पेश किए।
जुलूस तस्लीम शाह, जिंदा शाह, जाकिर शाह, कम्बर, शौकीन शाह और हसन अली साहब की गलियों से गुज़रा और आख़िर में इमामबारगाह पर ही खत्म हुआ।
🎙️ नोहे और मातम
जुलूस में नौहा-ख़्वानी का सिलसिला भी जारी रहा जिसमें सैय्यद वसी हैदर, गुड्डू मियां, अली रज़ा, शौकीन हुसैन, हाशिम शाह, नफीस शाह और सैय्यद कमर अब्बास ने अपने पुरग़म अशआर से फिज़ा को रंज व ग़म से भर दिया।
🍛 सबीलें और तबर्रुक
अज़ादारी के इस रूहानी माहौल में सोगवारों द्वारा राहगीरों और अज़ादारों के लिए चाय, शरबत और तबर्रुक का इंतेज़ाम किया गया। ये सबीलें हुसैनी खिदमत और मेहमानदारी का बेहतरीन नमूना थीं।🚓 सुरक्षा के इंतेज़ामात
इस मातमी जुलूस के दौरान पुलिस फोर्स तैनात रही जिससे अम्नो अमान का माहौल बरकरार रहा और जुलूस पुरअमन तरीके से सम्पन्न हुआ।
🤲 हाज़िरी और अकीदतमंदी
इस पुरग़म मौके पर डॉक्टर बाकिर, हुसैन अली, बाकिर शाह, हुसैन अब्बास समेत बडी तादाद में सोगवारों ने शिरकत की और कर्बला के शहीदों को अश्कों का नजराना पेश किया।मोहर्रम की यह अज़ादारी न सिर्फ कर्बला के ग़म को ताज़ा करती है बल्कि इंसानियत, सच्चाई और ईमानदारी की राह पर चलने का पैग़ाम देती है।
"समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
रिपोर्टर: शाकिर अली
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