हजरत हाफिज सैयद मोहम्मद इब्राहीम शाह साहब कादरी राजशाही के दरगाह पर उमड़ा अकीदतमंदों का सैलाब, दुआओं में मांगी गई देश की तरक्की और शांति की दुआ
सरावा।ग्राम में 76वां सालाना उर्स कादरी इब्राहीमी राजशाही पूरे अकीदत और शान-ओ-शौकत के साथ मनाया गया। यह सालाना उर्स कुत्बे अलम, औलादे गौसे आज़म हजरत हाफिज सैयद मोहम्मद इब्राहीम शाह साहब कादरी राजशाही की याद में हर साल मनाया जाता है, जिसमें दूर-दराज़ से अकीदतमंद बड़ी संख्या में शिरकत करते हैं।
महफिल की शुरुआत तिलावते कलाम-ए-पाक से हुई, जिसे हज़रत हाफिज व क़ारी ग़ुलाम अब्दुल कादिर साहब ने पेश किया। दरगाह के सज्जादा नशीन पीरे तरीकत हजरत मौलाना हमीदुल्लाह राजशाही इब्राहीमी अलीमी की सरपरस्ती में कार्यक्रम का आयोजन हुआ, वहीं सदारत हज़रत अल्लामा शम्स कादरी साहब (प्रिंसिपल, मदरसा इस्लामिया अरबिया, अंदर कोर्ट) ने की। निज़ामत के फ़राइज़ हाफिज व क़ारी ताहिर अशरफी साहब ने बख़ूबी अंजाम दिए।
मुख्य अतिथि के रूप में शामिल मुफ्ती रहमतुल्लाह मिस्बाही साहब ने हजरत इब्राहीम शाह की जिंदगी पर रौशनी डालते हुए कहा कि वे एक ऐसे बुजुर्ग थे जिन्होंने ज़िंदगी भर मखलूक की खिदमत की और इबादत में लगे रहे। उन्होंने कहा कि "सखावत अल्लाह को पसंद है, बख़ील नहीं।
" साथ ही ये पैगाम दिया कि आज के दौर में हमें बहादुर बनकर समाज की भलाई में आगे आना चाहिए।वहीं मुफ्ती इश्तियाक उल कादरी साहब ने कहा कि हजरत शाह साहब का पैगाम था कि मदद में धर्म या जाति की दीवार नहीं होनी चाहिए। सज्जादा नशीन मौलाना हमीदुल्लाह राजशाही आज भी उसी राह पर चलते हुए सभी की मदद करते हैं।
महफिल में मुफ्ती रहीस साहब, कारी इसरार रज़ा राजशाही, और हाफिज मोहम्मद उमर ने भी तकरीर पेश की। शायरे इस्लाम इंतखाब आलम संभली राजशाही, कामिल संभली, मौलाना जहीर साहब, फिरोज राजशाही, हाफिज दानिश राजशाही, सूफी हाजी निसार साबरी सहित कई मशहूर शायरों ने अपने कलाम से महफिल में रूहानी समां बांधा
इस मौके पर चादरपोशी और गुलपोशी की रस्म अदा की गई। सभी धर्मों व समुदायों के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया, लंगर का आयोजन हुआ और दरगाह पर दुआओं में देश की सलामती, आपसी भाईचारे और अमन की दुआ की गई। सज्जादा नशीन मौलाना हमीदुल्लाह राजशाही ने विशेष दुआ कराई, जिसमें सैकड़ों लोगों ने “आमीन” कहा।
कार्यक्रम में हाजी दीन मोहम्मद, सूफी मोहम्मद अली, सूफी निशात उल्लाह, इनामुल्लाह खान, हाजी शमशाद, सूफी हयात उल्लाह, सूफी अशफाक, शकील, इरफ़ान खान, शमशाद प्रधान, बशारत खान, इमरान खान, सलाउद्दीन सेफी, समीर खान, नासिर खान, डॉक्टर शोएब, सूफी सलीम, और अन्य गणमान्य उपस्थित रहे। "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका से इमरान अब्बास की रिपोर्ट
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