मुज़फ्फरनगर। प्रदेश की एक ईमानदार, कर्मठ और जनसेवा में समर्पित उप जिलाधिकारी (एसडीएम) पर की गई टिप्पणी अब विवाद का कारण बनती जा रही है। राष्ट्रीय महिला एकता संगठन ने कैबिनेट मंत्री द्वारा एसडीएम निकिता पर लगाए गए आरोपों को न केवल खारिज किया, बल्कि उन्हें शर्मनाक, असत्य और जनता को गुमराह करने वाला बताया है।
संगठन की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम एक ज्ञापन मुज़फ्फरनगर के नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा गया, जिसमें मंत्री के बयान की कड़ी निंदा की गई है और एसडीएम के पक्ष में जनता की भावना से अवगत कराया गया है।
ज्ञापन में स्पष्ट कहा गया है कि उप जिलाधिकारी निकिता एक अत्यंत कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी हैं, जो हर समय जनता के बीच रहकर समस्याओं को सुनती और समाधान करती हैं। संगठन की पदाधिकारी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक वरिष्ठ मंत्री जनप्रतिनिधि होकर भी जमीनी सच्चाई से दूर, सिर्फ बेबुनियाद आरोप लगाकर अधिकारियों की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
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बाढ़ में डूबी सड़क हो या सोलानी नदी की तबाही — हर मोर्चे पर साथ रहीं निकिता
ज्ञापन में बताया गया कि जब पिछले वर्ष नदी का पानी गांवों में घुस आया था, तो निकिता खुद बूट पहनकर पानी में उतरी थीं, गांव-गांव घूमीं और राहत व बचाव कार्यों की निगरानी की थी। उनकी जमीनी सक्रियता की तस्वीरें भी ज्ञापन के साथ संलग्न कर मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी गई हैं। संगठन ने कहा कि ऐसी अफसर आज के दौर में दुर्लभ हैं जो वास्तव में जनता की सेवा को अपना धर्म मानती हैं।
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मंत्री पहले खुद अपने क्षेत्र की सुध लें: महिला संगठन ने कसा तंज
राष्ट्रीय महिला एकता संगठन ने कैबिनेट मंत्री को घेरते हुए कहा कि "माननीय मंत्री जी अगर खादर की जनता के सच्चे प्रतिनिधि होते तो आज रामनगर, भदौला और खडेकी क्षेत्र के लोग हर साल सोलानी नदी के पानी में न डूबते।" संगठन ने सवाल उठाया कि क्या इन गांवों के नागरिक उत्तर प्रदेश का हिस्सा नहीं हैं? क्या उनके लिए पुल और बांध बनवाना सरकार की जिम्मेदारी नहीं?
ज्ञापन में दो टूक कहा गया है कि मंत्री महोदय यदि वाकई जनता की सेवा में रुचि रखते हैं, तो उन्हें ऐसे अफसरों की आलोचना करने से पहले अपने क्षेत्र में बुनियादी विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
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मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग
राष्ट्रीय महिला एकता संगठन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया है कि ऐसे गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक बयानों पर संज्ञान लें और अधिकारियों की गरिमा बनाए रखने के लिए सख्त निर्देश जारी करें।
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मुद्दा अब तेजी से तूल पकड़ रहा है। जहां जनता और सामाजिक संगठन एसडीएम निकिता के साथ खड़े हैं, वहीं मंत्री की टिप्पणी उनकी खुद की जनछवि पर सवाल खड़े कर रही है। समझो भारत से गुलवेज़ आलम
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