"हरिद्वार में बाढ़ से पहले तैयारी की मिसाल – मॉक ड्रिल में गंगा से बचाया गया युवक, दर्जनों की जान बचाने की कार्ययोजना का रिहर्सल"



लेखक: तसलीम अहमद | समझो भारत राष्ट्रीय समाचार


हरिद्वार, उत्तराखंड
मानसून के आते ही देश के कई हिस्सों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है। लेकिन इस बार हरिद्वार प्रशासन ने खतरे से पहले तैयारी की नज़ीर पेश की है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के नेतृत्व में हरिद्वार जिले में पांच स्थानों पर बाढ़ एवं जलभराव से निपटने के लिए मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसने न केवल संसाधनों की परख की, बल्कि प्रशासनिक और रेस्क्यू टीमों की कार्यकुशलता का भी बेहतरीन उदाहरण पेश किया।


गंगा में बहते युवक को बचाया – विष्णु घाट मॉक ड्रिल की लाइव सिचुएशन

विष्णु घाट पर हुई मॉक ड्रिल में कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि 15-20 लोग गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण बहने की स्थिति में हैं। जिलाधिकारी ने तुरंत आईआरएस सिस्टम को एक्टिवेट करते हुए भीमगौड़ा बैराज से जलस्तर नियंत्रित करने और राहत दल को रवाना करने का निर्देश दिया।
ऋषिकुल मैदान को स्टेजिंग एरिया और भल्ला इंटर कॉलेज को रिलीफ सेंटर बनाया गया।

इस ड्रिल में 30 सदस्यों की संयुक्त टीम (जल पुलिस, SDRF, होमगार्ड, PAC, PRD, आपदा मित्र) ने मौके पर पहुंचकर 300 श्रद्धालुओं को सुरक्षित बाहर निकाला और 47 लोगों को रिलीफ कैंप में शिफ्ट किया गया।
घटना रूप में 11 घायलों और 3 की मृत्यु का प्रदर्शन किया गया, ताकि गंभीर परिस्थितियों में कार्यपद्धति की वास्तविकता परखी जा सके।


श्यामपुर कांगड़ी मॉक ड्रिल – 100 परिवारों की सुरक्षा और पशु बचाव

श्यामपुर कांगड़ी में भी भारी बारिश और गंगा का बढ़ता जलस्तर चिंता का विषय बना। सूचना मिलते ही बचाव दल सक्रिय हुआ।
इस बार 100 परिवार और 125 पशु प्रभावित बताए गए। स्टेजिंग एरिया, रिलीफ सेंटर की त्वरित स्थापना के साथ, एनसीसी और एनएसएस के छात्रों को भी शामिल किया गया।

टीम ने 70 परिवारों और 67 पशुओं को सुरक्षित निकाला, जबकि 5 घायल पशुओं का उपचार किया गया। इस ड्रिल में 7 लोगों और 10 पशुओं की मृत्यु, 19 घायल और 3 लोग बहने की स्थिति दर्शाई गई।


लक्सर और भगवानपुर के गांवों में भी मॉकड्रिल – ज़मीनी स्तर पर सजगता

तीन अन्य संवेदनशील गांव – कलसिया (लक्सर), माडाबेला (लक्सर), फतेहउल्लापुर (भगवानपुर) – में भी बाढ़ की स्थिति से निपटने की तैयारी परखी गई। हर स्थान पर स्टेजिंग एरिया, राहत कैम्प, संसाधन पहुंच, जल पुलिस की सक्रियता और राहत प्रक्रिया का अभ्यास किया गया।


राज्यस्तरीय निगरानी – हर हरकत पर नज़र

मॉकड्रिल की निगरानी जिला आपदा प्रबंधन परिचालन केन्द्र और राज्य आपदा प्रबंधन परिचालन केन्द्र (देहरादून) द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई। BSF, NDRF, SDRF, ITBP के जवान मौके पर तैनात रहे।


DM का संदेश – सजग नागरिक ही सबसे बड़ी ताक़त

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने मॉकड्रिल के बाद कहा:

"सीमित संसाधनों के बेहतर उपयोग, टीमवर्क और त्वरित रिस्पॉन्स ही आपदा में कम से कम नुकसान सुनिश्चित कर सकते हैं। मॉकड्रिल हमारी तैयारियों की असली परीक्षा है – छोटी-छोटी गलतियों को अब सुधारें ताकि असली आपदा में कोई चूक न हो।"

उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वर्षाकाल में यात्रा से पहले मौसम की जानकारी ज़रूर लें, नदी किनारे न जाएं और प्रशासन द्वारा जारी अलर्ट का पालन करें।


अधिकारियों की सक्रिय मौजूदगी – ज़िम्मेदारी का अहसास

मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे, ADMs दीपेन्द्र सिंह नेगी, SC पंकज गैरोला, PD केएन तिवारी, CMO डॉ. आरके सिंह, DPO तेजबल सिंह, DSEO नलिनी ध्यानी, DMO मीरा रावत सहित जिले के कई वरिष्ठ अधिकारी घटना स्थलों व कंट्रोल रूम में सक्रिय रहे।


निष्कर्ष:
हरिद्वार की इस मॉकड्रिल से यह साबित होता है कि आपदा प्रबंधन केवल सरकारी कर्तव्य नहीं, बल्कि एक सामूहिक चेतना और पूर्व तैयारी का परिणाम होता है। हर नागरिक की सजगता और प्रशासन की तत्परता मिलकर ही आने वाली आपदाओं को रोका जा सकता है।

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