कैराना (शामली)। नगरपालिका परिषद कैराना में उस समय हड़कंप मच गया जब परिषद के सफाई लिपिक रविन्द्र कुमार को नगर के बिगड़ते हालात और बार-बार चेतावनी के बावजूद ढीली कार्यशैली के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। चेयरमैन के कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि रविन्द्र कुमार "कार्यालय में बैठकर सिर्फ राजनीति करते हैं" जबकि नगर की गलियां कूड़े से पटी पड़ी हैं और नालों की सफाई का कोई नामोनिशान नहीं है।
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नगरपालिका चेयरमैन के केम्प कार्यालय में प्रतिदिन नगरवासियों और सभासदों की ओर से शिकायतें आ रही थीं कि मोहल्लों और गलियों में बदबू, जलभराव और कचरे का अंबार लगा हुआ है। गंदगी के चलते संक्रमण फैलने का खतरा गहराता जा रहा है, लेकिन सफाई व्यवस्था देखने वाला कर्मचारी जिम्मेदारियों से बेखबर है।
चेयरमैन के अनुसार, कई बार रविन्द्र कुमार को मौखिक रूप से निर्देश दिए गए कि वे मौके पर जाकर सफाई व्यवस्था देखें, लेकिन उन्होंने हर बार इन आदेशों को ठेंगा दिखाया।
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नगरपालिका द्वारा बरसात से पहले नालियों की सफाई का अभियान हर साल चलाया जाता है, लेकिन इस बार स्थिति चिंताजनक है। छोटे-बड़े नालों की सफाई न होने के कारण कई स्थानों पर भारी जलभराव हो चुका है। गंदे पानी से नागरिकों का निकलना दुश्वार हो गया है और नगरपालिका की साख पर सवाल उठने लगे हैं।
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जारी आदेश में साफ लिखा गया है कि रविन्द्र कुमार "कार्यालय में बैठकर राजनीति करने में व्यस्त रहते हैं।" यही नहीं, उनके खिलाफ पहले भी अनुशासनात्मक टिप्पणियाँ की गई थीं लेकिन "कोई सुधार नहीं हुआ"। इससे साफ है कि रविन्द्र कुमार न सिर्फ आदेशों की अवहेलना कर रहे थे बल्कि सार्वजनिक सेवा की मूल भावना के साथ भी खिलवाड़ कर रहे थे।
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नगरपालिका अधिनियम 1916 की धारा 74 के अंतर्गत रविन्द्र कुमार को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है। साथ ही उन्हें तीन दिन के भीतर अपना समस्त कार्यभार श्री तासीम अली, जलकल लिपिक को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
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निलंबन के दौरान रविन्द्र कुमार को किसी भी अन्य रोजगार, व्यापार या पेशे में लगे बिना रहना होगा। उन्हें इसका प्रमाण पत्र देना होगा, तभी जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा। साथ ही, निलंबन अवधि में वह प्रतिदिन कर विभाग में उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
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इस पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा कर अधीक्षक नगरपालिका परिषद कैराना को सौंपा गया है। चेयरमैन ने साफ कहा है कि जल्द ही आरोप पत्र भी निर्गत कर दिया जाएगा।
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इस पूरे घटनाक्रम को नगरपालिका में लंबे समय से चल रही लापरवाही की संस्कृति पर एक बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है। रविन्द्र कुमार जैसे कर्मचारी जो जनता की समस्याओं को दरकिनार कर अपनी 'राजनीति' चमकाने में लगे थे, अब पालिका की सख्ती का शिकार हो रहे हैं।
नगर वासियों की एक ही मांग – "ऐसे और भी अफसरों पर कसे शिकंजा!" समझो भारत न्यूज से पत्रकार गुलवेज़ आलम की रिपोर्ट
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