कैराना। कस्बे के मोहल्ला शेखबद्धा निवासी डॉ. अज़ीम अनवर पर अब न सिर्फ ज़मीन कब्ज़ाने का गंभीर आरोप है, बल्कि झूठ बोलकर समाज और प्रशासन को गुमराह करने की कोशिश में उनकी साख मिट्टी में मिलती जा रही है। फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर ज़मीन हड़पने, जबरन कब्ज़ा करने, धमकी देने और अब खुलेआम झूठा इंटरव्यू देकर सच्चाई को दबाने की कोशिश – डॉक्टर साहब की करतूतों की फेहरिस्त लगातार लंबी होती जा रही है।
मोहल्ला शेखबद्धा के ही बुज़ुर्ग पीड़ित मजाहिर हसन ने बताया कि ग्राम कैराना बाहर हदूद स्थित उनकी कृषि भूमि, खसरा संख्या 1604, रकबा 0.1690 हेक्टेयर को डॉ. अज़ीम अनवर ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक साजिश के तहत 28 अप्रैल 2024 को फर्जी पॉवर ऑफ अटॉर्नी बनवाकर कब्ज़ा कर लिया। यह रजिस्ट्री इरशाद और इंतजार नामक व्यक्तियों के नाम पर कराई गई। 2 जून 2024 को आरोपियों ने जबरन ज़मीन पर कब्ज़ा करने का प्रयास किया, निर्माण शुरू कर दिया और वहां लगे पेड़ों को काट डाला। जब पीड़ित ने इसका विरोध किया तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई। घटना की सूचना 112 नंबर पर दी गई, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन आरोपी फरार हो गए।
इस पूरे मामले को जब स्वतंत्र पत्रकार गुलवेज़ आलम ने उजागर किया, तो डॉ. अज़ीम अनवर ने अपनी झूठी छवि बचाने के लिए पत्रकार को कानूनी नोटिस भेज दिया और मीडिया में बैठकर बेहिचक ये बयान देने लगे कि “मामला निपट चुका है, समझौता हो गया है”। लेकिन डॉक्टर साहब के इस बयान की हकीकत कोर्ट में खुलकर सामने आ रही है, क्योंकि ये मामला अब भी न्यायालय उप जिला अधिकारी (SDM), कैराना में विचाराधीन है।
कोर्ट में दर्ज दो मुकदमे —
वाद संख्या 34/24, धारा 35, मजाहिर बनाम अज़ीम अनवर
वाद संख्या 35/24, धारा 35(2), मजाहिर बनाम इंतजार
— अभी भी लंबित हैं और अगली सुनवाई की तारीख 27 जून 2025 नियत की गई है।
ऐसे में जब न्यायालय में मामला चल रहा है, तब डॉ. अज़ीम अनवर का यह कहना कि "मामला सुलझ चुका है" न सिर्फ झूठ की पराकाष्ठा है, बल्कि न्याय प्रक्रिया का सीधा अपमान भी है। डॉ. अज़ीम का यह दोहरा चेहरा — एक तरफ कोर्ट में पेशी और दूसरी तरफ मीडिया में बेशर्मी से झूठ बोलना — अब समाज में उनकी किरकिरी और बेइज्जती का कारण बन गया है।
पीड़ित मजाहिर हसन ने साफ कहा कि उन्होंने कोई समझौता नहीं किया है और न ही वे झुकने वाले हैं। उनका कहना है कि
> "डॉ. अज़ीम अनवर झूठ पर झूठ बोल रहा है। पहले ज़मीन हड़पी, फिर जबरन कब्ज़ा किया और अब मीडिया में आकर मुझे ही झूठा साबित करने की कोशिश कर रहा है। मैं न्याय की मांग कर रहा हूं और जब तक मेरी जमीन और हक वापस नहीं मिलते, मैं चुप नहीं बैठूंगा।"
पूरे कस्बे में अब डॉ. अज़ीम अनवर की करतूतों की चर्चा है। समाज में सवाल उठ रहे हैं कि एक डॉक्टर होकर अगर कोई इतना बड़ा फर्जीवाड़ा कर सकता है, तो आम नागरिकों का क्या होगा? एक तरफ कोर्ट में मुकदमे, दूसरी तरफ झूठे बयान, और फिर पत्रकार पर दबाव — यह सब मिलकर एक संगठित साजिश की ओर इशारा करते हैं, जिसमें डॉ. अज़ीम अनवर की भूमिका अब किसी से छुपी नहीं है।
इस पूरे मामले ने प्रशासन और न्यायपालिका को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। अगर अब भी ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह कानून और इंसाफ दोनों के लिए गहरा धक्का होगा। समाज को ऐसे सफेदपोश लुटेरों से सावधान रहने की ज़रूरत है जो डॉक्टर की आड़ में आम जनता की ज़मीन, पैसा और आत्मसम्मान लूटने में जुटे हैं।
अब देखना यह है कि क्या प्रशासन जागता है या झूठ की ये स्क्रिप्ट आगे भी यूँ ही चलती रहेगी। पर एक बात तय है — डॉक्टर अज़ीम अनवर अब समाज में बेनकाब हो चुका है, और उसकी गिरती साख हर जुबां पर है। समझो भारत न्यूज से पत्रकार गुलवेज आलम की रिपोर्ट
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