सहनशीलता की अब और परीक्षा नहीं ली जा सकती। आतंक को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता: विवेक प्रेमी

शामली। आतंक को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अब पीड़ित होने का दिखावा करने वाले पाकिस्तान को नहीं भूलना चाहिए की इसकी शुरुआत पहलगाम में हई बर्बरता से हुई है। उससे भी बड़ी बात ये है की पाकिस्तान की जमीन का उपयोग वर्षों से भारत के विरुद्ध आतंकी साजिशों के लिए होता आ रहा है। भारत की सहनशीलता की अब और परीक्षा नहीं ली जा सकती। ये वही पाकिस्तान है जिसने भारत को हज़ार ज़ख़्म देकर तोड़ने की कोशिश (Bleed India a thousand cuts) हमेशा की है और ये सोच 1980 के दशक से चली आ रही जनरल ज़िया-उल-हक की नीति है का हिस्सा है जिसने आतंक को एक रणनीति बना लिया था, भारत उस सोच का खामियाज़ा तब से भुगतता आ रहा है। लेकिन पाकिस्तान को अब समझ लेना चाहिए की हर चीज़ की एक हद होती है और इसकी कीमत अब पाकिस्तान को चुकानी पड़ेगी। ये सच्चाई है कि इसमें बेकसूर लोग दोनों तरफ़ मारे जाएंगे। लेकिन ये भी सच्चाई है कि अब कुछ दोहरा चरित्र रखने वाले देश 'दोनों पक्षों को शांत रहने' जैसे खोखले बयानों से बात नहीं संभाल सकते। यहां भारत पीड़ित है और उसे जवाब देने का पूरा हक है। बराबरी का दिखावा करना, पीड़ित और हमलावर को एक तराजू में तौलना न्याय नहीं है। हमे अपने देश की सेना पर गर्व है, पूरा देश इस फैसले में भारतीय सेना और भारत सरकार के साथ है। ज़िला ब्यूरो शौकीन सिद्दिकी शामली/कैमरामैन रामकुमार चौहान शामली Mob-9927203289

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