भारतीय किसान आंदोलन के इतिहास में यदि कोई नाम सबसे सशक्त और जनमानस में गूंजता रहा है, तो वह है बाबा महेंद्र सिंह टिकैत का। आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मैं नमन करता हूं उस संघर्षशील जीवन को, जिसने न केवल किसानों की आवाज़ को बुलंद किया बल्कि देश की राजनीति में भी नई चेतना जगाई।
उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और जनसेवा की मिसाल रहा। वे न कभी पद के लोभ में आए, न ही किसी राजनीतिक दल का झंडा उठाया। उनकी निष्ठा केवल किसानों के हित में थी, और यही कारण है कि आज भी वे देश के लाखों किसानों के दिलों में जीवित हैं।
17 मई 2011 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनके विचार, उनका संघर्ष और उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनके पुत्र चौधरी नरेश टिकैत जी और राकेश टिकैत जी ने उनके मार्ग पर चलते हुए किसान आंदोलनों को आगे बढ़ाया है।
"जो मिट्टी से जुड़ा है, वही असली भारत को समझ सकता है – और बाबा टिकैत उस मिट्टी की सोंधी खुशबू थे। मुझे गर्व है कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में पढ़ते हुए अपने छात्र जीवन में मुझे बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के आंदोलन में सहभाग करने का अवसर मिला और मैंने करीब से उन्हें समझकर, उनके संघर्षों को देखकर वही संघर्ष का रास्ता अपनाया है"
शत-शत नमन! एक किसान का बेटा, डा. विक्रांत जावला, समझो भारत न्यूज से पत्रकार गुलवेज आलम की रिपोर्ट
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