भारत में नफरत का नया अध्याय, उरूज आतंकवादी संगठन का उदय!
आगरा। देश में बढ़ती नफरत और विभाजन की राजनीति एक भयावह मोड़ पर पहुँच गई है। हाल ही में एक दुखद और विवादित घटना ने सभी को चौंका दिया है, जब तीन हमलावरों ने एक युवक गुलफाम की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना न केवल एक निर्दोष जिंदगी की बर्बादी है, बल्कि इसे उस बढ़ती टकराव और नफरत का गंभीर प्रतिबिम्ब माना जा रहा है, जो देश में फैलती जा रही है।
समाचार के अनुसार, गुलफाम की हत्या के बाद उसके साथी ने मदद करने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उस पर भी गोलियां चलाईं। ये हमलावर स्पष्ट रूप से आतंकवादियों के रूप में पहचाने गए हैं, जो कथित तौर पर पाकिस्तान से जुड़े थे। ऐसी घटनाएँ उस भावनात्मक चालीस में आग लगाने का काम करती हैं, जिसे कुछ राजनीतिक दल और मीडिया ट्रेंड बढ़ावा दे रहे हैं।
इस कांड की जिम्मेदारी एक कथित गौ रक्षक संगठन ने ली, जिसने समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। क्या यह सिर्फ एक हत्या थी, या यह हमें एक नए आतंकवादी संगठन 'उरूज' की ओर इशारा कर रही है? इस संगठन की उत्पत्ति और इसके उद्देश्यों पर गंभीरता से चर्चा करने की आवश्यकता है।
देशभक्ति और धार्मिक नफरत का यह खतरनाक मिश्रण न केवल भारत के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रहा है, बल्कि यह आतंकवाद और हिंसा को भी प्रोत्साहित कर रहा है। यह समय है जब सभी को मिलकर इस नफरत के खिलाफ खड़ा होना होगा। देश की सुरक्षा और एकता के लिए हमें अपनी आवाज उठानी होगी।
क्या हम एक ऐसी दिशा में बढ़ रहे हैं, जहाँ मुसलमानों के प्रति नफरत और आतंकवाद को समानार्थक माना जाने लगेगा? यह घटनाएँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हम एक ऐसे समाज में जी रहे हैं, जहाँ मानवता की कोई कीमत नहीं रह गई है। समाज में फैले तनाव को कम करने के लिए, सरकार और विभिन्न संस्थानों को मिलकर एक सकारात्मक कार्रवाई करनी होगी ताकि उरूज जैसे संगठनों की गतिविधियों पर काबू पाया जा सके और समाज में सामंजस्य स्थापित किया जा सके। यह समय है कि हम अपनी पहचान से ऊपर उठकर देश की एकता के लिए कार्य करें।
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