आतंकी हमले ने छीन ली पाकिस्तानी सेहरिश की खुशियाँ, कांधला से वापस भेजा पाकिस्तान
कांधला। पाकिस्तान के मुल्तान शहर की निवासी सेहरिश बानो का भारत आने का सपना तीन साल बाद पूरा हुआ था, लेकिन हाल ही में हुए एक आतंकी हमले ने उनकी खुशियों को चुराकर रख दिया। वीजा मिलने के बाद सेहरिश ने अपने पति के साथ ससुराल कांधला के मोहल्ला खैल में कदम रखा था, जहाँ उन्हें खुशियों से भरे माहौल में रहने की उम्मीद थी। लेकिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के कारण प्रशासन ने केवल सात दिन के भीतर उन्हें वापस पाकिस्तान लौटने का आदेश दे दिया।
सेहरिश का वीजा 45 दिनों का था, लेकिन केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए सभी पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का निर्णय लिया। इसी आदेश के तहत, सेहरिश को अपने ससुराल में बिताए गए मात्र सात दिनों के बाद अटारी बॉर्डर पर भेज दिया गया। इस घटना से उनके पति वाजिद और परिवार के अन्य सदस्य गहरे दुःख में हैं।
भावुकता से भरी हुई सेहरिश ने कहा, "मैंने केवल सात दिन अपने पति और ससुराल वालों के साथ बिताए। मैं पूरे हर्ष और उम्मीद के साथ यहाँ आई थी कि मुझे अपने परिवार के साथ पूरा समय बिताने का अवसर मिलेगा।" हालांकि, पहलगाम में हुए हमले की वजह से उन्हें 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने की सूचना दी गई।
पति वाजिद ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, "मैंने पुलिस से गुज़ारिश की थी कि मेरी पत्नी को कम से कम 45 दिन यहाँ रहने दिया जाए, लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई।" अब वे हालात सामान्य होने पर एक बार फिर से सेहरिश को भारत बुलाने की योजना बना रहे हैं।
सेहरिश का भारत आना अपने ससुराल में एक खुशी का अवसर माना गया था। वाजिद ने साझा किया कि जब सेहरिश पाकिस्तान से आई, तब पूरे मोहल्ले में जश्न का माहौल था। परिवार ने सेहरिश के आगमन पर दावत दी थी और उसे परिवार की आगामी शादियों में शामिल होने का मौका मिलेगा।
यह ध्यान देने योग्य है कि सेहरिश और वाजिद की शादी तीन साल पहले हुई थी। वाजिद 30 दिन के वीजा पर पाकिस्तान गया था, जहाँ उसकी शादी सेहरिश से हुई। लेकिन शादी के बाद वीजा संबंधी समस्याओं के कारण वह अपनी पत्नी से नहीं मिल पाया। इस बार जब सेहरिश भारत आई, तो उसे केवल एक सप्ताह का समय बिताने का अवसर मिला।
अब, जो खुशी सेहरिश ने अपने ससुराल में अनुभव की थी, वह पलभर में चुराई जा चुकी है। उसने अपने पति से कहा है कि वह प्रधानमंत्री से गुहार लगाकर भारत की नागरिकता प्राप्त करने की कोशिश करेंगे, ताकि वह हमेशा के लिए अपने पति के साथ रह सके। इस त्रासदी ने न केवल सेहरिश और वाजिद के सपनों को तोड़ा है, बल्कि उनके पूरे परिवार को भी शोक में डुबो दिया है। रिपोर्ट गुलवेज आलम
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