चौसान क्षेत्र में स्थित बिडौली खनन पट्टा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। क्षेत्र में खनन गतिविधियों से जुड़े कई अनियमितताओं के आरोप सामने आ रहे हैं। बिना नंबर प्लेट वाले डंपरों और अवैध रूप से ओवरलोड रेत परिवहन जैसे मामले खनन नियमों और सरकारी राजस्व को चुनौती दे रहे हैं।
बिना नंबर प्लेट के डंपर: अवैध गतिविधियों का सबूत
खनन क्षेत्र में रेत और अन्य खनिजों का परिवहन करने वाले डंपरों पर नंबर प्लेट का न होना एक गंभीर समस्या है। यह न केवल यातायात और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इन वाहनों के जरिए अवैध खनन और परिवहन हो सकता है।
रोयल्टी की प्रक्रिया पर सवाल
खनन पट्टे से निकाले गए खनिजों पर नियमानुसार रोयल्टी देनी होती है। लेकिन बिना नंबर प्लेट वाले डंपरों से यह सवाल उठता है कि यह रोयल्टी कैसे दी जा रही है।
क्या इन डंपरों के जरिए खनिजों का रिकॉर्ड सही तरीके से दर्ज हो रहा है?
यदि नहीं, तो सरकारी राजस्व को इससे भारी नुकसान हो रहा है।
ओवरलोडिंग: पर्यावरण और सड़क सुरक्षा के लिए खतरा
खनन क्षेत्र से ओवरलोड डंपरों का निकलना भी एक बड़ी समस्या है।
1. सड़क सुरक्षा:
ओवरलोड डंपर सड़क पर चलने वाले अन्य वाहनों और राहगीरों के लिए खतरा हैं।
2. पर्यावरणीय नुकसान:
ओवरलोड वाहनों से सड़कों पर धूल और खनिज फैलता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है।
3. सड़कें खराब होती हैं:
अत्यधिक वजन के कारण सड़कें जल्दी टूट जाती हैं, जिससे सरकार को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
गड़बड़ी की ओर इशारा।
बिना नंबर प्लेट और अवैध गतिविधियों के पीछे खनन अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत का संदेह हो रहा है।
यदि डंपरों का रजिस्ट्रेशन ही नहीं है, तो यह स्पष्ट है कि खनन की गतिविधियां नियमों को दरकिनार कर रही हैं।
रोयल्टी रिकॉर्ड में हेरफेर की संभावना भी बढ़ जाती है।
स्थानीय निवासियों की नाराजगी।
स्थानीय लोगों ने खनन गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाई है। उनका कहना है कि प्रशासनिक लापरवाही के चलते इलाके में अवैध खनन बढ़ा है, जिससे पर्यावरणीय और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
नियंत्रण के उपाय और सरकार की भूमिका
सरकार और खनन विभाग को इन अनियमितताओं पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
संभावित कदम।
1. डंपरों की सख्त निगरानी:
सभी डंपरों का रजिस्ट्रेशन और नंबर प्लेट अनिवार्य किया जाना चाहिए।
2. ओवरलोडिंग पर रोक:
वाहनों के लिए वजन सीमा तय की जाए और ओवरलोडिंग पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
3. रोयल्टी प्रक्रिया में पारदर्शिता:
खनन गतिविधियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग और रोयल्टी प्रक्रिया को डिजिटाइज करना चाहिए।
4. स्थानीय शिकायतों का निपटारा:
स्थानीय निवासियों की शिकायतों को प्राथमिकता दी जाए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।
चौसान क्षेत्र के बिडौली खनन पट्टे में हो रही अनियमितताएं न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि स्थानीय पर्यावरण और सुरक्षा पर भी गहरा असर डाल रही हैं। प्रशासन और सरकार को इन गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। नियमों का पालन सुनिश्चित करके ही इस क्षेत्र में खनन से होने वाले लाभ को सभी के लिए फायदेमंद बनाया जा सकता है।रिपोर्ट
शौकीन सिद्दीकी शामली ,कैमरा मैन ,तल्हा मिर्ज़ा शामली
#samjhobharat
8010884848
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