गंगा मैया के जल और कावड़ सेवा के माध्यम से जिस तरह भगवान
भोलेनाथ की पूजा की जाती है वहीं दूसरी ओर सावन के इसी महीने में
महाशिवरात्रि के तीन दिन बाद ही हरियाली तीज का पर्व होता है।
जिसमें सुहागन महिलाएं भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के लिए व्रत रखती है।
तो दोपहर बाद झूला झूलने की प्राचीन परंपरा है। इस मौके पर मेहंदी कंपटीशन किए जाते हैं।
छोटे-छोटे स्कूलों में भी हरियाली तीज के मौके पर मेहंदी कंपटीशन किए गये तो कहीं बच्चों को झुलाया गया।
भोलेनाथ की पूजा की जाती है वहीं दूसरी ओर सावन के इसी महीने में
महाशिवरात्रि के तीन दिन बाद ही हरियाली तीज का पर्व होता है।
जिसमें सुहागन महिलाएं भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के लिए व्रत रखती है।
तो दोपहर बाद झूला झूलने की प्राचीन परंपरा है। इस मौके पर मेहंदी कंपटीशन किए जाते हैं।
छोटे-छोटे स्कूलों में भी हरियाली तीज के मौके पर मेहंदी कंपटीशन किए गये तो कहीं बच्चों को झुलाया गया।
इस अवसर पर बुधवार को महिलाओं ने मेहंदी कंपटीशन भी किये और झूले भी झूले।
आज भी हरियाली तीज का पर्व महिलाओं के लिए पूजा अर्चना और सावन के गीतों से मौज मस्ती करने का माना जाता है।
इस संबंध में सलेक चन्द वर्मा की एक खास रिपोर्ट......
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