शीतल गढी में समाधि दिवस पर किया भंडारे का आयोजन

बिडोली।  बिड़ौली क्षेत्र के ग्राम शीतल गढ़ी में ग्राम वासियों ने सूरज गिरी महाराज की समाधि दिवस पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े भंडारे का आयोजन किया जिसमें सभी ग्राम वासियों ने तन मन धन से हिस्सा लिया और धर्म लाभ उठाया आसपास के कई गांव के श्रधालुओ  ने भंडारे में शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया इस आयोजन को  गांव भर में त्यौहार की तरह हर साल मनाया जाता है इस वर्ष भी भंडारे का आयोजन पूरे हर्षो उल्लास के साथ मनाया गयागत कई वर्षों से ग्राम शीतल गढ़ी  निवासी सभी ग्रामवासी सूरज गिरी महाराज की समाधि दिवस पर गांव के मंदिर में भंडारे का आयोजन करते हैं हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सभी ग्राम वासियों ने मिलजुल कर महाराज की समाधि दिवस पर भंडारे का आयोजन कर श्रद्धालुओं को हलवा पुरी का प्रसाद वितरण किया जिसमें आसपास के कई गांव से  श्रद्धालुओं  ने श्रद्धापूर्वक हिस्सा लिया तथा प्रसाद ग्रहण किया सूरज गिरी महाराज जी के वंशज जो थाना भवन में रहते है  राकेश राजेश मोहन व धर्मपाल आदि ने भी भंडारे में शामिल होकर धर्म  लाभ उठाया /  लगभग 15- 16 साल तक सूरज गिरी महाराज ने शीतल गढ़ी  स्थित इसी मंदिर में तथा यमुना नदी में तपस्या की और उन्होंने ही अपने हाथों से इस मंदिर की नींव आज से लगभग 20 साल पहले गांव में रखी थी जिसमें गांव वाले आज भी अटूट श्रद्धा से मंदिर में जाते हैं और श्रद्धा पूरक मांगी गई मनोकामना भी पूरी  होती है पिछले लगभग 20 वर्षों से इसी मंदिर में समस्त ग्रामवासी इकट्ठा होकर कार्तिक मास की  पंचम तिथि को भंडारे का आयोजन करते हैं और तभी से हर  वर्ष इस मंदिर में निरंतर भंडारा चलता  आ रहा है

सिद्ध पुरुष थे सूरज गिरी महाराज जी

भगत ज्योति प्रसाद लाल जी की माने तो बाबा सूरज गिरी महाराज जी कोई आम साधु नहीं थे बल्कि वह एक सिद्ध पुरुष थे जिन्होंने निर्लोभ  और निस्वार्थ अपने पूरे जीवन काल में दूसरों की सेवा व सहायता की तथा कभी किसी से किसी भी चीज की मांग या इच्छा जाहिर नहीं की तथा हमेशा भजन कीर्तन या तपस्या में ही लीन  रहते थे तथा बिल्कुल सादा जीवन जीते थे कई बार महाराज जी यमुना नदी के भंडार में अंदर जाकर जहां ग्रामीण भी कम ही पहुंचते  थे वहीं पर कई  दिन तक  तपस्या किया  करते थे तथा तपस्या के ही कारण सूरज गिरी महाराज जी में कई दिव्य शक्तियों का भी वास था  जिनका उन्होंने कभी किसी के सामने जाहिर नहीं किया लेकिन जो कोई भी श्रद्धालु सच्चे मन से बाबा जी के पास आता था तो बाबा जी निश्चय ही उसकी समस्या का समाधान कर देते थे ऐसा मेरे जीवन काल में भी कई बार हुआ उनके चले जाने से उनके भक्त जैसे अनाथ से ही हो गए थे लेकिन आज भी उनके कई भगत जब भी उनका मन विचलित हो या कोई बड़ी समस्या आती है तो मंदिर में आकर ध्यान लगाते हैं या बाबा जी का स्मरण करते हैं तो आज भी उनकी समस्याओं का समाधान तुरंत हो जाता है इसी कारण ग्रामीणों का और आसपास के कई  गांव के श्रद्धालुओ  का आज भी इस मंदिर में अटूट श्रद्धा और विश्वास है।

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