कान्हा संग गोपियां


आज शामली के सेंट0 आर0 सी0 कान्वेंट स्कूल में शिव पार्वती जी का पावन पर्व हरियाली तीज बड़े उत्साह के साथ स्कूल के ऑडिटोरियम में मनाया गया जिसमें प्रधानाचार्या श्रीमती मीनू संगल की उपस्थिति में सभी अध्यापिकाओं ने रैंप वॉक किया व मधुर धुन पर नृत्य भी किया। पूरा ऑडिटोरियम आध्यात्म्य हो गया जब एक छोटे से श्री कृष्णा पधारे। सभी अध्यापिकाएं गोपियों का रूप धर इस उत्सव को भाव-विभोर कर रही थी।


इस अवसर पर स्कूल में मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया सभी छात्राओं ने मेहंदी प्रतियोगिता में भाग लेकर अपनी कलात्मक का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। प्रधानाचार्या श्रीमति मीनू संगल जी ने छात्राओं की रचनात्मक प्रतिभा को सहारते हुए उन्हें हरियाली तीज के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि तीज को हरियाली तीज भी कहा जाता है क्योंकि इस समय वातावरण में चारों तरफ हरियाली छाई रहती है, और यह त्यौहार सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में सावन मास में पड़ने वाली हरियाली तीज का विशेष महत्व होता है।

प्रधानाचार्या ने सभी गोपियों का उत्साहवर्धन किया व हरियाली तीज की शुभकामनाएं दी और उन सभी गोपियों की लंबी आयु के लिए मां पार्वती से प्रार्थना की। उन्होंने आगे बताया कि इस पर्व को लेकर यह मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पानी के लिए मां पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। तभी से हर वर्ष यह है तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए रखती है। इस पर्व पर मां पार्वती को सुहाग की सभी चीज जैसे- बिंदी, सिंदूर, बिछिया, कंगी, चूड़ी, कुमकुम, ओढ़नी, महावर और मेहंदी अर्पित की जाती है। स्कूल के चेयरमैन श्री अरविन्द सिंघल जी ने सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

सेंट0 आर0 सी0 कान्वेंट स्कूल शामली में हरियाली का प्रतीक तीज का त्यौहार अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्कूल की सभी अध्यापक एवं अध्यापिकाएं ग्रीन कलर्स की ड्रेस में उपस्थित हुए जिससे विद्यालय का प्रांगण हरियाली से खिल उठा।

पौराणिक मान्यताओं में हरियाली तीज का दिन भगवान शिव और देवी पार्वती से भी जुड़ा हुआ है। इसलिए इस त्यौहार का विशेष महत्व है। आधुनिकता की दौड़ में त्यौहारो का महत्व खत्म होता जा रहा है। पहले सावन का महीना आते ही पेड़ों पर झूले लग जाते थे, परन्तु अब दूर-दूर तक झूले नजर नहीं आते. सभी मिलजुलकर त्यौहार मनाते थे, घर में सावन के झूले के लोकगीत गाते थे बहुत आनन्द आता था समुचा वातावरण बागों में झूले रिमझिम फुहार राग मल्लहार के गीत, इस पर्व को विशेष बनाते थे.

लेकिन अब किसी के पास समय ही नहीं है कि मिलजुलकर त्यौहार मनायें। अब त्यौहार कब आया कब गया पता ही नही चलता यह गलत है। हम सभी को अपने सभी त्यौहार पहले की तरह ही प्रेम व सौहार्द से मिलजुलकर मनाने चाहिए जिससे आपस में प्रेम व सदभावना का संचार होता रहें। इस दिन हरे रंग के वस्त्र व हरी चूड़िया पहनकर इस त्यौहार को अत्यन्त हर्ष एवं उमंग के साथ मनाना चाहिए। क्योंकि इससे जीवन में नई उमंग का संचार होता है।

इस अवसर पर अंजू पंवार, बनीता खैवाल, अनीता वत्स, सुरक्षा, निशा शर्मा, शिल्पी, अंजुल चौधरी, महक, निधि चौधरी, मून बॉस, तनु, मीनाक्षी, दीपा, आंचल, भावना शर्मा, अंजू मलिक आदि उपस्थित थे। मीनू संगल , प्रधानाचार्या, सेंट0 आर0 सी0 कान्वेंट स्कूल, शामली ।

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